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वीडियो एडिटर: पूर्णेंदु प्रीतम
वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी
“लव समस्या समाधान, बॉयफ्रेंड वशीकरण, जॉब नहीं लगना, अच्छी पत्नी चाहिए, पति किसी और औरत की तरफ आकर्षित न हो, बिजनेस में घाटा. इन सबका शर्तिया इलाज. मिलें वशीकरण एक्सपर्ट बाबा से.’’ तंत्र-मंत्र, टोने टोटके के जरिए बाबा लोग ऐसी ही बातें करते हैं और भोले-भाले लोग इसमें फंसते भी हैं.
लेकिन हम तो ठहरे बात-बात में राजनीति खोजने वाले, सो मन में सवाल उठा कि क्या कोई ऐसा तंत्र-मंत्र, जादू-टोना, उपाए या सुझाव है, जो चुनाव में हार, जनता की दुत्कार, सत्ता में वापसी, पार्टी को करे मजबूत, सोये कार्यकर्ताओं को जगाए, जैसे शर्तिया इलाज करता हो? तो जवाब मिला 'हां'. इन सवालों का जवाब 'सेक्युलर बाबा' के पास है.
बाबा कहते हैं- खुद को सेक्युलर कहने वाली विपक्षी पार्टियां चुनाव हारकर जमीन पर आ गई हैं, लेकिन अभी भी जमीनी हकीकत से वाकिफ नहीं हैं. अगर अखिलेश, ममता, मायावती, राहुल, तेजस्वी और ऐसे दूसरे नेता इस टोटके को अपनाएंगे, तो उनकी पार्टियां जीत जाएंगी, नहीं तो फिर कहीं और ही जाएंगी.
बाबा ने अपनी गठरी से एक-एक करके सबके लिए कुछ न कुछ है
अब देखो अखिलेश और मायावती साथ तो लड़े, लेकिन अखिलेश की पार्टी वाले हाथी पर बैठने को तैयार नहीं हुए, न ही मायावती के लोग हाथी से उतरकर साइकल का पैडल मारने को रेडी. अब भले ही अखिलेश बात-बात पर 'हमने एक्सप्रेसवे बनवाया', 'हमारा एक्सप्रेसवे देखिए' करते रहें या मेट्रो का दम भरते रहें. लेकिन अखिलेश के मंत्र तो ठीक थे, लेकिन तंत्र सही नहीं थे.
अखिलेश बाबू एक्सप्रेसवे पर बहुत बतिया लिए, अब थोड़ा एक्सप्रेसवे के आसपास बने गांव में भी चले जाइए. लेकिन शर्त ये है कि हेलिकॉप्टर से नहीं, महंगी गाड़ी भी नहीं, बल्कि साइकल से जाइए. मुलायम ब्रांड साइकिल.
0 से 10 तक का सफर तो हाथी में साइकल की घंटी लगाकर पार हो गया, लेकिन विधानसभा की पार्किंग में अब भी आपके हाथी को स्पेस नहीं मिल पा रहा है. उसे हासिल करने के लिए यूपी की पतली गलियों में पैदल जाना होता है.
अपने बंगले की ऊंची दीवारों से निकलकर लोगों के बीच में जाना होगा, जैसे कांशीराम के वक्त सहारनपुर की गलियों में साइकल पर सवार होकर पिछड़ों के लिए दिन-रात सड़क पर रहती थीं.
बाबा कहते हैं राहुल की मेहनत पर शक नहीं कर सकते, राजा, महाराजा, जमींदार, बाबू, चापलूसों टाइप लोगों से हाथ छुड़ाइए, और जनता का हाथ पकड़िए. कृपा बनी रहेगी.
बाबा कहते हैं कि एकता में बल है. मतलब Unity in strength. केजरीवाल जी टूटे झाड़ू से सफाई नहीं होती है, इसलिए झाड़ू के तिनके को समेट लीजिए. अब अगर एकता का मतलब नहीं समझ पाएं, तो एक दिन 'एक था' हो जाएंगे.
अब ये बात खैर ममता बनर्जी से बेहतर कौन समझ सकता है, जिन्होंने 30 साल से ज्यादा वक्त से राज कर रहे लेफ्ट को बंगाल से लेफ्ट कर दिया हो. बाबा के पास उपाय है. अहिंसा... महात्मा गांधी वाली अहिंसा. अब अगर ममता दीदी हैं, तो बहन का हक अदा कीजिए और गुंडे 'भाइयों' को रोकिए. जनता ने हिंसा से निकलने के लिए आपको वोट किया था, बस यही बात गले में ताबीज की तरह डाल लीजिए.
बच्चा, बुझते हुए लालटेन में तेल डालो, लालटेन की रोशनी अपने भाई पर भी पड़ने दो. जाति नहीं जाती है, लेकिन मुद्दे पर बात करनी तो आती है? तो बस पलायन, बेरोजगारी, इंडस्ट्री, एकता का मुद्दा उठाते रहो, जनता तुम्हारा भाग्य रोशन कर देगी..
बिहार में 0 रन बनाने वाले पूर्व क्रिकेटर तेजस्वी, बाबा की बात मानेंगे, तो आने वाले वक्त में कप्तान भी बन सकते हैं.
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