वीडियो एडिटर: पूर्णेंदु प्रीतम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नए मंत्रियों की टीम सामने आई तो हमने कहा कि मोदी ही मैसेज हैं. अब जबकि सभी मंत्रियों को मंत्रालय बांट दिए गए हैं तो हम कह सकते हैं कि मोदी मैसेज ही नहीं, सरप्राइज भी हैं. मंत्रिमंडल में एस जयशंकर को शामिल करना सरप्राइज था. अमित शाह को गृह मंत्रालय दिया गया, जबकि ऐसा माना जा रहा था कि उन्हें वित्त मंत्रालय मिल सकता है.
वैसे ही सरप्राइज के तौर पर निर्मला सीतारमण को वित्त मंत्रालय दिया गया. राजनाथ सिंह को रक्षा मंत्रालय दिया गया. विदेश सचिव रहे एस जयशंकर को विदेश मंत्रालय दिया गया है. नितिन गडकरी को रोड ट्रांसपोर्ट के अलावा एमएसएमई मंत्रालय दिया गया है, जो बीजेपी के जनाधार को बढ़ाने के लिए अहम है.
एक तरह से इसे ऐसे देखा जा सकता है कि मोदी जी कि ये प्रोजेक्ट मैनेजमेंट टीम है. ये मंत्री मोदी जी के प्रोजेक्ट मैनेजर हैं. पिछले दिनों मोदी ने कहा भी था कि सरकार एक निरंतर प्रक्रिया है. मंत्रालयों और अधिकारियों को हमने कहा है कि वो अपना काम करते रहें.
इस बीच सौ दिन का एजेंडा बना है. कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी का स्ट्रक्चर इससे साफ हो गया है, जिसमें राजनाथ सिंह, पीएम मोदी, अमित शाह के अलावा एस जयशंकर होंगे. सीसीईए (आर्थिक मामलों की कमेटी) में निर्मला सीतारमण भी होंगी. यानि एक कॉम्पैक्ट टीम जो पीएम मोदी के एजेंडे पर काम करेगी.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने चुनौती
सबसे बड़ी चुनौती निर्मला सीतारमण के सामने है क्योंकि फिलहाल आर्थिक चुनौती सबसे बड़ी है. जीडीपी ग्रोथ 6-6.5 के करीब आता हुआ नजर आ रहा है. कृषि क्षेत्र के भी हालात ठीक नहीं हैं. कंजप्शन डिमांड कम हो गई है. ऐसे में टैक्स स्लैब कम करने की जरूरत पड़ेगी. इसके अलावा बाजार में पैसे की कमी है. विदेशी निवेश लाना भी बड़ी चुनौती होगी.
गृहमंत्री अमित शाह का एजेंडा!
अमित शाह गुजरात में मोदी सरकार में भी गृहमंत्री थे. उस दौरान कई नए प्रयोग किए. फिलहाल उनके सामने राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद, जम्मू-कश्मीर, सिटिजन एमेंडमेंट बिल, सीमावर्ती राज्यों में विशेष इंतजाम जैसे बड़े एजेंडे होंगे. कश्मीर पर बड़े बदलाव हो सकते हैं. इंटरनल सिक्योरिटी का मामला भी उनके सामने बड़ी चुनौती है.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर के सामने चुनौती
विदेश मामलों के बड़े जानकार एस जयशंकर ने अपनी पिछली पारी में बड़े-बड़े काम किए. मोदी डिप्लोमेसी को आगे बढ़ाने के लिए उनके सामने एजेंडा साफ है. अमेरिका और चीन के ट्रेड वॉर के बीच में भारत के लिए मौका ढ़ूंढना बड़ी चुनौती होगी. संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्यता दिलाना, अंतरराष्ट्रीय समुदाय में पाकिस्तान को अलग-थलग करते हुए भारत एशिया का नेतृत्व कैसे करेगा, इस तरह के कई महत्वपूर्ण काम होंगे.
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की जिम्मेदारी
रक्षा विभाग में बहुत सारा काम बाकी है. राफेल विवादों की वजह से मंत्रालय में निर्णय लेना कम हो गया था. राजनाथ सिंह पीएम मोदी के साथ मिलजुल कर काम करेंगे तो शायद बहुत तेजी से फैसले होंगे.
मानव संसाधन कल्याण विभाग में रमेश पोखरियाल का आना बड़ा सरप्राइज है. उनका पहला बयान ही है कि श्रेष्ठ, सशक्त, शिक्षित, समृद्ध और स्वच्छ भारत के मोदी जी के एजेंडे के साथ काम करना.
नरेंद्र तोमर मध्य प्रदेश के वरिष्ठ नेता हैं. उनको कृषि मंत्रालय दिया गया है. किसानों की आमदनी दोगुनी कैसे करें, बिचौलियों को कैसे हटाएं, देश कृषि प्रधान से अन्य रोजगार की तरफ से कैसे जाए. ऐसे मामलों में उन्हें एक नया विचार लाना होगा.
प्रकाश जावड़ेकर को सूचना और प्रसारण मंत्रालय मिला है. जावड़ेकर पहले भी इस मंत्रालय को संभाल चुके हैं. वे पत्रकार के बेटे हैं और पार्टी के प्रवक्ता भी रह चुके हैं. ऐसे में ये देखना होगा कि वो मीडिया की आजादी को बढ़ाने, उसे मजबूत करने की दिशा में क्या काम करते हैं.
जिन लोगों ने अच्छा प्रदर्शन किया, वो अपने पद पर बने हुए हैं. धर्मेंद्र प्रधान उसी मंत्रालय में हैं. पीयूष गोयल के पास रेलवे, हर्षवर्धन को स्वास्थ्य मंत्रालय जैसे कुछ नाम हैं, जिन्होंने अपने आपको साबित किया है. वे मोदी सरकार के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं.
स्मृति ईरानी को टेक्सटाइल मिनिस्ट्री के साथ-साथ महिला एवं बाल विकास मंत्रालय मिला है. ये ऐसा मंत्रालय है जिसके सहारे हर घर में पहुंचा जा सकता है. इसके अलावा इस बार प्रताप चंद्र सारंगी के काम पर भी नजर होगी.
कुल मिलाकर मोदी जी की ‘प्रोजेक्ट मैनेजमेंट टीम’ तैयार है, देखते हैं ये एजेंडा पर कितनी खरी उतरती है?
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