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साल 1983 में ह्रषिकेश मुखर्जी के डायरेक्शन में बनी फिल्म 'किसी से न कहना' एक बार फिर चर्चा में है. इस फिल्म के इस सीन की तस्वीर को शेयर करने की वजह से एक शख्स को जेल भेज दिया गया है.
फैक्ट चेकिंग मतलब फेक न्यूज की पड़ताल करने वाली वेबसाइट Alt News के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर (MohammadZubair) को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया है. इस फिल्म के एक सीन में बने एक बोर्ड और उसपर लिखे शब्द की वजह से दिल्ली पुलिस ने जुबैर पर दंगा भड़काने से लेकर धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगाया है.
जो दिल्ली पुलिस जेएनयू की कोमल शर्मा को न ढूंढ़ पाई, जो दिल्ली पुलिस दिल्ली दंगा भड़काने वाली रागिनी तिवारी, नरसंहार की अपील करने वाले नरसिंहानंद को जेल में नहीं रख सकी वो एक गुमनाम ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट का संज्ञान लेते हुए जुबैर को जेल भेज देती है.
अब जब दिल्ली पुलिस पक्षपात, विच हंट और जानबूझकर आम लोगों या पत्रकारों को फंसाएगी तो हम पूछेंगे जरूर जनाब ऐसे कैसे?
दिल्ली पुलिस ने जुबैर पर IPC की धारा 153 (उपद्रव या दंगा भड़काने पर लगने वाली धारा) और 295A (धार्मिक भावनाएं आहत करने पर लगने वाली धारा) के तहत मामला दर्ज किया था और फिर जुबैर को गिरफ्तार किया. फिर आनन-फानन में बुराड़ी के ड्यूटी मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया. ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने भी जुबैर को एक दिन की पुलिस कस्टडी में भेज दिया.
फिर पटियाला हाउस कोर्ट ने पुलिस रिमांड को 4 दिन के लिए बढ़ा दिया. इसके बाद 2 जुलाई को पटियाला कोर्ट के मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. यही नहीं दिल्ली पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई के दौरान बताया कि जुबैर पर आपराधिक साजिश और सबूत नष्ट करने के नए आरोप भी जोड़ दिए गए हैं.
ये तो हुआ बैकग्राउंड..अब आपको हम एक-एक कर दिल्ली पुलिस के एक्शन से मिलवाते हैं.
जुबैर को जिस अपराध के लिए हिरासत में लिया गया है वो दरअसल एक होटल का साइनबोर्ड है जिसे बदलकर ‘हनीमून होटल’ से ‘हनुमान होटल’ दिखाया गया है. इसके साथ एक टेक्स्ट लिखा गया है ‘ 2014 से पहले : हनीमून होटल और 2014 के बाद हनुमान होटल'
हालांकि तस्वीर ना तो किसी पूजा स्थल की है और ना ही इसे जुबैर ने खींची थी. और वो अकले नहीं हैं जिन्होंने इसे शेयर किया है. यह 1985 की ह्रषिकेश मुखर्जी के डायरेक्शन में बनी फिल्म किसी से ना कहना का स्क्रीन शॉट है. ट्विटर पर अलग अलग वक्त में अलग-अलग यूजर्स ने इसका इस्तेमाल किया है. दरअसल ये इंडियन एक्सप्रेस आर्टिकल के लिए एक आर्टिकल का कवर भी था. यानी बाकियों ने जब इसे दुनिया को दिखाया तो किसी की भावना आहत नहीं हुई लेकिन जुबैर ने दिखाया तो आहत हो गई.
यहां तक कि अगर FIR पर कोर्ट की व्याख्या को मान भी लें तो जुबैर के खिलाफ जो आरोप लगे हैं वो वास्तव में सेक्शन 295 A और 153 A के तहत हैं और ऐसे में उनकी गिरफ्तारी और रिमांड में रखा जाना एक गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि ये साफ दिखाता है कि किस तरह से कानून का तोड़ मरोड़कर इस्तेमाल किया जा रहा है.
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि जुबैर पर जिन अपराधों का आरोप दिल्ली पुलिस ने लगया है, उनमें से कोई भी तीन साल से ज्यादा की सजा वाली नहीं है. फिर भी पुलिस ने जुबैर की रिमांड की मांग की थी.
भारतीय जनता पार्टी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने 26 मई 2022 को हजरत मोहम्मद के खिलाफ विवादास्पद बयान दिया. मोहम्मद जुबैर ने ट्विटर पर नूपुर शर्मा की विवादस्पद टिप्पणी का एक वीडियो शेयर किया और साथ ही उन्होंने कैप्शन लिखा,
जुबैर के ट्वीट के बाद दुनियाभर से नफरत के खिलाफ आवाज उठी. बीजेपी ने तो नूपुर को सस्पेंड कर दिया लेकिन मजाल है जो दिल्ली पुलिस नूपुर शर्मा को गिरफ्तार करती.
एक और कड़वा सच देखिए.. दिल्ली पुलिस एक और केस में जुबैर को उत्तर प्रदेश के सीतापुर लेकर गई. जुबैर की अदालत में पेशी थी. इस बार जुबैर पर कथित हिंदू संतों के खिलाफ कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी करने और धार्मिक भावना भड़काने का आरोप है.
और तो और कमाल देखिए कि सीतापुर के न्यायिक दंडाधिकारी ने जुबैर को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने का फैसला सुनाया.
सवाल ये है कि नरसंहार की अपील करने वाला और महिलाओं को रेप की धमकी देने वाला बजरंग मुनि, नरसिंहानंद जेल से बाहर है लेकिन इन नफरतों की सच्चाई दुनिया को बताने वाला मोहम्मद जुबैर जेल में क्यों है?
जुबैर को ट्वीट के बहाने गिरफ्तार किया गया है वो साफ तौर पर एक राजनीतिक व्यंग्य है. जोकि एक फिल्म का सीन है.. और फिर भी किसी पत्रकार, व्यंग्यकार, कलाकार, लेखक, राजनीतिक टिप्पणीकार की जुबान पर 'भावनाएं आहत' नाम की पट्टी बांधकर चुप कराने की कोशिश करेंगे तो आजादी पसंद लोग पूछेंगे जनाब ऐसे कैसे?
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