Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News videos  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019सरकार ने कुछ न किया तो तबाह होगा टेलीकॉम : मोटेंक सिंह Exclusive

सरकार ने कुछ न किया तो तबाह होगा टेलीकॉम : मोटेंक सिंह Exclusive

SC ने कंपनियों को दिया था 17 मार्च तक का वक्त

क्विंट हिंदी
न्यूज वीडियो
Updated:
सरकार ने कुछ न किया तो तबाह होगा टेलीकॉम : मोटेंक सिंह Exclusive
i
सरकार ने कुछ न किया तो तबाह होगा टेलीकॉम : मोटेंक सिंह Exclusive
(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

टेलीकॉम सेक्टर पर छाए संकट पर योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष ने कहा है कि अगर सरकार ने कुछ नहीं किया, तो टेलीकॉम सेक्टर तबाह हो जाएगा. AGR के मुद्दे पर उन्होंने कहा, "तीन में से दो टेलीकॉम कंपनियां तबाह हो जाएंगी." ये बात योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने क्विंट से खास बातचीत में कही.

दरअसल, टेलीकॉम विभाग ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) के तहत टेलीकॉम कंपनियों को एक आदेश जारी किया है. इस आदेश में कहा गया है कि भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी कंपनियां अपने बकाए को 14 फरवरी रात 12 बजे से पहले 1.47 लाख करोड़ रुपये चुकाएं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

AGR का मुद्दा क्या है और इसमें दिक्कत कहां है इस पर क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया से खास बातचीत की.

सरकार टेलीकॉम कंपनियों से ज्यादा टैक्स वसूलना चाहती है इस वजह से टेलीकॉम इंडस्ट्री का नुकसान हुआ है- क्या ये कहना सही होगा.

टेलीकॉम सेक्टर इस वक्त दिक्कतों से गुजर रहा है. AGR की कई सालों से एक व्याख्या चली आ रही है. अचानक नई बात आई कि ये भी रेवेन्यू देना होगा. अब जिन कंपनियों ने स्पेक्ट्रम की बोलियां लगाई थीं. उनकी उम्मीद थी कि ये नहीं भरना पड़ेगा. इतना बड़ा बोझ डालने से बड़ी दिक्कत आना जायज है. कानून का नजरिया होगा, कानून की व्याख्या करना. लेकिन अगर कानून की ये व्याख्या सही है तो वो कानून ही गलत था. अगर अब सरकार इसे बदलती है तो लोग कहेंगे कि कंपनियों को फायदा दिलाने के लिए सरकार ये कर रही है. इसे हल करने के लिए पब्लिक और सरकार में विश्वास और पारदर्शिता चाहिए.

SC ने कंपनियों को दिया था 17 मार्च तक का वक्त

सुप्रीम कोर्ट ने भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को अपना AGR (Adjusted Gross Revenue) 17 मार्च तक जमा करने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने उस दिन इन कंपनियों और डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन यानी DOT के अफसरों को भी अदालत में हाजिर रहने को कहा.

सुप्रीम कोर्ट ने बकाया भुगतान के मामले में टेलीकॉम कंपनियों और टेलीकॉम विभाग के रवैये पर भी गहरी नाराजगी जताई. सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर, 2019 के अपने फैसले में कहा था कि कंपनियां 23 जनवरी, 2020 तक टेलीकॉम विभाग को एक लाख करोड़ रुपये का भुगतान कर दें. अदालत का कहना था कि कंपनियां अपने रेवेन्यू की अंडर रिपोर्टिंग कर रही हैं.

क्या है AGR?

AGR यानी Adjusted gross revenue दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूसेज और लाइसेंसिग फीस है. इसके दो हिस्से हैं- स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज और लाइसेंसिंग फीस. DOT का कहना है कि AGR की गणना किसी टेलीकॉम कंपनी को होने वाले संपूर्ण आय या रेवेन्यू के आधार पर होनी चाहिए, जिसमें डिपोजिट इंटरेस्ट और एसेट बिक्री जैसे गैर टेलीकॉम स्रोत से हुई आय भी शामिल है. दूसरी तरफ, टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि AGR की गणना सिर्फ टेलीकॉम सेवाओं से होने वाली आय के आधार पर होनी चाहिए.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 14 Feb 2020,10:10 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT