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लोकसभा चुनाव 2019 की तैयारियां जोरों पर चल रही है. महाराष्ट्र के नागपुर में कैसा है चुनावी माहौल, किसका पलड़ा है भारी, किसकी होगी जीत, किसे मिलेगी हार? क्या हैं यहां के वोटरों के चुनावी मुद्दे? मोदी सरकार के पांच साल के कार्यकाल को दलित समुदाय कैसे देखता है? इन्हीं बातों को जानने के लिए क्विंट हिंदी की टीम पहुंची नागपुर.
नागपुर के युवक प्रवीण का कहना है कि राजनीति में युवाओं का चेहरा नहीं है. उनका मानना है कि मेनस्ट्रीम राजनीति में वंशवाद खत्म होना चाहिए और नए लोगों को, खासकर युवाओं को मौका मिलना चाहिए.
नागपुर के ही एक युवक हेम कृष्णा मोदी सरकार के कामकाज को लेकर कहते हैं कि उन्होंने काम किया है, लेकिन जितना काम होना चाहिए, उतना नहीं हुआ है. हेम कृष्णा राज्य सरकार के मराठाओं को दिए गए आरक्षण पर कहते हैं:
प्रधानमंत्री के ‘हर अकाउंट में15 लाख’ वाले बयान पर हेम कृष्णा कहते हैं, '‘2014 में नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सबके अकाउंट में 15 लाख रुपये आएंगे. जब मैं अपने गांव गया, तो बुआ से पूछा, ‘किसे वोट देंगी,’ तो उन्होंने कहा, 'मोदी जी को'. मैंने पूछा, 'क्यों?' तो उन्होंने कहा, '15 लाख रुपये आएंगे'. लेकिन ये 15 लाख आएंगे या नहीं, ये किसी को नहीं पता, लेकिन मोदी जी ने इसका इस्तेमाल किया. ये पैसे नहीं आए हैं. मेरा ये कहना है कि गांव में जो भी अशिक्षित लोग हैं, वहां भ्रम फैलाना, झूठ फैलाना आसान हो गया.’'
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