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नागपुर चौपाल: ‘दिल्ली-मुंबई में बैठी BJP सरकार, विदर्भ को भूल गई’

विदर्भ राज्य, केंद्र की बीजेपी सरकार और किसानों के मुद्दे को लेकर क्या सोचते हैं नागपुर के ये लोग

क्विंट हिंदी
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दिल्ली-मुंबई में बैठी बीजेपी सरकार क्या विदर्भ को भूल गई? नागपुर चौपाल
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दिल्ली-मुंबई में बैठी बीजेपी सरकार क्या विदर्भ को भूल गई? नागपुर चौपाल
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा

2019 लोकसभा चुनाव नजदीक है. क्विंट देश के कई शहरों में अलग-अलग मुद्दों पर लोगों से उनकी राय जानने में जुटा है. ऐसे में हम मोदी सरकार का रिपोर्ट कार्ड जानने पहुंचे हैं संतरों की नगरी, बाबा साहेब अंबेडकर के शहर और सीएम देवेंद्र फडणवीस के होम टाउन यानी महाराष्ट्र के नागपुर में.

'विदर्भ राज्य बनाने का वादा भूल गई बीजेपी सरकार'

यहां मौजूद लोग, अलग विदर्भ राज्य के मुद्दे पर बीजेपी सरकार से खासा नाराज दिखे. इनमें से ज्यादातर का यही मानना है कि चुनाव से पहले अलग विदर्भ राज्य की बात करने वाली बीजेपी सरकार में आने के बाद से ही अपना वादा भूल गई.

नितिन रोंघे इन्हीं नाराज लोगों में से एक हैं, जिनका कहना है कि बीजेपी सरकार ने विदर्भ के लोगों को त्याग दिया है.

सच कहूं तो राज्य की बीजेपी सरकार ने विदर्भ के लोगों को त्याग दिया है. 2014 में उन्होंने विदर्भ को अलग राज्य बनाने का वादा किया था  लेकिन जैसे ही वो मुंबई और दिल्ली में पहुंचते हैं तो वो विदर्भ को भूल ही जाते हैं. जैसे हिंदी में कहते हैं कि इन लोगों को मुंबई और दिल्ली की हवा लग गई है. विदर्भ की कीमत पर मुंबई और दिल्ली में आप पावर लीजिए और विदर्भ के लोगों को ऐसे ही छोड़ दीजिए .
नितिन रोंघे, एक्टिविस्ट

वहीं, विदर्भ राज्य पर प्राजक्ता कहती हैं कि उन्हें दूसरा राज्य नहीं चाहिए,

हमें दूसरा राज्य क्यों चाहिए? हम महाराष्ट्र के स्वाभिमानी नागरिक हैं जो हमारा इतिहास है, शिवाजी महाराज हैं. हम उसे वैसे ही चाहते हैं. हम नहीं चाहते अलग राज्य.
प्राजक्ता कुलकर्णी, छात्रा
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किसानों की हालत का जिम्मेदार कौन?

विदर्भ में किसानों की खुदकुशी की खबरें मीडिया में हेडलाइन तो बन जाती हैं, लेकिन किसानों की स्थिति में कोई व्यापक सुधार देखने को नहीं मिलता है.

किसानों को लेकर तो मोदी सरकार, कांग्रेस सरकार से भी ज्यादा असफल साबित हुई. विदर्भ किसानों के लिए है, बीजेपी का 5 राज्यों में सफाया नहीं हुआ बल्कि किसानों ने उनका सफाया किया. देखिए कांग्रेस ने कहा था ‘सत्ता में आने के बाद हम आपका कर्जमाफ करेंगे’. कमलनाथ जी ने 3 घंटे में किया. छत्तीसगढ़ में भी यही चीज 2 घंटे में हो गई.
अरुण केदार, किसानों के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता

क्या बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन सिर्फ सत्ता में रहने के लिए है?

इस सवाल के जवाब में चौपाल में मौजूद लोग कहते हैं कि उनकी चिंता सिर्फ विदर्भ को लेकर है 2014 में बीजेपी ने कहा था कि विदर्भ को अलग राज्य बनाया जाएगा लेकिन अब 2019 के चुनाव बहुत करीब हैं. अब तक उन्होंने विदर्भ को लेकर किसी भी तरह का फैसला नहीं किया है.

संयुक्त विपक्ष के पास कोई विजन नहीं मोदी हैं बड़े नेता

महागठबंधन पर लोगों की राय अलग-अलग देखने को मिली. किसी का मानना है कि ये विजनलेस गठबंधन है तो कुछ लोगों को विपक्ष में आस दिखती है.

जब महागठबंधन की हम बात करें तो वो बेसलेस, सेंसलेस और विजनलेस गठबंधन है. उनका विजन है कि मोदी को सत्ता से हटाना. ऐसा कोई विजन नहीं है कि आप भारत को कैसे आगे लेकर जाएंगे या युवाओं के लिए आप काम करेंगे. या किसानों के लिए आप क्या करेंगे उन्होंने ये बात कभी नहीं की.
स्थानीय
मोदी सरकार खुद एक गठबंधन सरकार है, जिसमे 44 पार्टियां हैं तो अगर मोदी जी का गठबंधन संभव है तो कांग्रेस का महागठबंधन संभव क्यों नहीं है?
स्थानीय

क्या विदर्भ की समस्या कभी हल होगी? क्या विदर्भ देश का 30वां राज्य बनेगा? किसकी डूबेगी नैया किसका होगा बेड़ा पार? एक होगा राजा या बनेगी गठबंधन की सरकार? आने वाले चुनाव में विदर्भ जवाब देने के लिए तैयार है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 05 Mar 2019,07:17 PM IST

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