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बिहार (Bihar) में जिस बात की अटकलें लगाई जा रहीं थी वही हुआ. एक हफ्ते से चल रही सियासी गहमागहमी के बीच रविवार, 28 जनवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ मिलकर प्रदेश में सरकार बनाने का दावा पेश किया. ऐसा पहली बार नहीं है, जब नीतीश कुमार ने यू-टर्न लिया है. मुख्यमंत्री रहते हुए यह उनका चौथा यूटर्न है.
नीतीश कुमार बिहार में सबसे लंबे समय तक पद पर रहने वाले मुख्यमंत्री हैं. वो पिछले 19 सालों से बिहार की सत्ता में हैं. विधानसभा में सीटों के लिहाज से जेडीयू तीसरे नंबर की पार्टी है, लेकिन प्रदेश की राजनीति की बागडोर उन्हीं के हाथ में है.
चलिए आपको बताते हैं कि नीतीश कुमार ने कब-कब और क्यों राजनीतिक यूटर्न लिया.
नीतीश कुमार साल 2000 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने. लेकिन बहुमत नहीं होने के चलते उन्होंने 7 दिन में ही 10 मार्च, 2000 को इस्तीफा देना पड़ा. इसके 5 साल बाद नीतीश ने सत्ता में वापसी की. 2005 में उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई और प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली.
बिहार बीजेपी और जेडीयू के बीच साल 2013 तक सबकुछ ठीक चला. लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने जब नरेंद्र मोदी को लोकसभा चुनाव समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया तब नीतीश कुमार ने इसका विरोध किया. सबसे पहले वह साल 2013 में NDA से अलग हुए थे. उन्होंने बीजेपी से 17 साल पुराना गठबंधन खत्म कर लिया था.
NDA का दामन छोड़ने के बाद नीतीश कुमार ने लालू यादव और कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया. 2015 विधानसभा चुनाव में JDU, RJD और कांग्रेस ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा और बिहार में बीजेपी का सफाया कर दिया. नीतीश कुमार ने 'महागठबंधन' की सरकार बनाई. नीतीश मुख्यमंत्री बने और तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री.
लेकिन महागठबंधन की सरकार अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी. साल 2017 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन से नाता तोड़ लिया.
हालांकि कुछ ही घंटों में नीतीश कुमार बीजेपी के समर्थन से फिर मुख्यमंत्री बन गए. वहीं सत्ता परिवर्तन का ये पूरा घटनाक्रम नाटकीय तरीके से 15 घंटे के भीतर हुआ.
नीतीश कुमार ने NDA गठबंधन के तहत 2017 से लेकर 2020 तक सरकार चलाया. 2020 विधानसभा चुनाव JDU और बीजेपी के साथ लड़ा. लेकिन इस चुनाव में बीजेपी को फायदा और JDU को भारी नुकसान हुआ. JDU 43 सीटों के साथ तीसरे नंबर की पार्टी बन गई. वहीं बीजेपी के खाते में 74 सीटें आईं. इसके बावजूद बीजेपी ने मुख्यमंत्री की कुर्सी नीतीश कुमार को सौंपी और अपने दो डिप्टी सीएम बनाए थे.
इसके बाद नीतीश कुमार ने एक बार फिर आरजेडी, कांग्रेस के साथ हाथ मिला लिया. 10 अगस्त 2022 को नीतीश कुमार ने महागठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली.
17 महीने बाद बिहार में महागठबंधन की सरकार गिर गई. नीतीश कुमार ने इस्तीफे के बाद महागठबंधन सरकार से निकलने की वजह बताते हुए कहा कि, "हमारी पार्टी को तोड़ने की कोशिश की जा रही थी. बिहार में जो काम हो रहा था उसमे अकेले श्रेय लेने की होड़ मची थी."
बता दें कि पिछले साल के अंत में बिहार में तख्तापलट की अफवाह उड़ी थी. कथित तौर पर RJD सुप्रीमो लालू यादव नीतीश कुमार के पीठ पीछे तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे. जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष ललन सिंह पर भी इस पूरी साजिश में शामिल होने का आरोप लगा था. जिसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था.
लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार का NDA में शामिल होना विपक्षी गठबंधन INDIA के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. नीतीश कुमार की ही पहल पर INDIA गठबंधन बनी थी. वहीं NDA में जाने से उन्हें और बीजेपी को कितना फायदा होता है ये तो वक्त ही बताएगा.
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