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दिल्ली से करीब 40 कीलोमीटर दूर, उत्तर प्रदेश के दादरी का रसूलपुर गांव. गांव में पहुंचने से पहले ही आसमान को छूते फैक्ट्री के प्लांट के धुएं और चिमनी से सामना होने लगता है. जैसे-जैसे आगे बढ़ते हैं गांव के बाहरी हिस्से पर भारी पुलिस बंदोबस्त और फिर नारा लगाते लोगों की आवाज सुनाई देती है. एक शख्स के हाथ में माइक है और वो कहता है,
दरअसल, ये भीड़ दादरी के रहने वाले उन किसानों और लोगों की है जिनकी जमीन साल 1980 में नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (NTPC) के प्लांट के लिए ली गई थी. इसी जमीन अधिग्रहण की वजह से एक समान मुआवजा, नौकरी और दूसरी सुविधाओं की मांग को लेकर 24 गांव के सैकड़ों लोग NTPC के खिलाफ धरने पर बैठे हैं.
जब हम भीड़ के करीब पहुंचे तो बूढ़ी महिलाओं से लेकर जवान लड़के अपने जख्म और चोट के निशान दिखाने लगे. दरअसल, हमारे पहुंचने से एक दिन पहले यहां पुलिस और किसानों के बीच झड़प हुई थी. आरोप है कि मंगलवार एक नवंबर को NTPC प्लांट के गेट पर किसानों ने जमकर हंगामा किया और वहां तालाबंदी की कोशिश की. इस दौरान किसानों पर पानी की बौछारें डाली गई और लाठीचार्ज किया गया. इस दौरान कई प्रदर्शनकारियों को चोटें आई हैं. साथ ही कई किसानों को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है.
बता दें कि एनटीपीसी दादरी के लिए 1980 में जमीन का अधिग्रहण किया गया था. किसानों का कहना है कि उस वक्त कुछ लोगों को जमीन 60 रुपये गज के रेट पर और तो कुछ को जमीन 120 रुपये के रेट पर अधिग्रहित हुई थी.
विरोध कर रहे लोगों के मुताबिक, प्लांट बनाने के दौरान सरकार और NTPC ने कई वादे किए थे, जो आज तक पूरे नहीं हुए हैं. जमीन का समान भुगतान के अलावा रोजगार की बात भी हुई थी, लेकिन वो आज तक पूरा नहीं किया गया.
हालांकि इन बातों के साथ-साथ किसानों की मांग अब अपने साथियों को जेल से रिहाई दिलाने की भी है. दरअसल, एक नवंबर को पुलिस ने विरोध प्रदर्शन करने के आरोप में किसान नेता सुखबीर खलीफा समेत 10 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार कर लिया था.
क्विंट ने किसानों के आरोप पर NTPC दादरी से संपर्क करने की कोशिश की. वेबसाइट पर दिए इस 0120-3317042 नंबर पर संपर्क नहीं हो सका. मैनेजर (पब्लिक रिलेशन) का मेल आईडी भी काम नहीं कर रहा है.
हालांकि मीडिया में दिए बयान में NTPC दादरी ने कहा है कि कंपनी द्वारा अपने नियमों के अनुसार प्रदर्शनकारियों की मांगों की जांच की जा रही है.
'वैकेंसी की अनुपलब्धता की वजह से स्थायी रोजगार देना संभव नहीं है. रोजगार बढ़ाने के लिए दादरी क्षेत्र के प्रभावित गांवों के युवाओं के लिए सीएसआर (कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी) पहल के माध्यम से कौशल विकास कार्यक्रम सर्वोच्च प्राथमिकताओं में हैं."- NTPC
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