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पराली प्रदूषण की फिर दस्तक, दिल्ली की एयर क्वालिटी में गिरावट

आने वाले दिनों में दिल्ली-एनसीआर की हवा और ज्यादा दूषित होने वाली है.

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पराली प्रदूषण की फिर दस्तक, दिल्ली की एयर क्वालिटी में गिरावट
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पराली प्रदूषण की फिर दस्तक, दिल्ली की एयर क्वालिटी में गिरावट
(फाइल फोटो: PTI)

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वीडियो एडिटर- अभिषेक शर्मा

दिल्ली-एनसीआर से सटे पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में हर साल की तरह इस साल भी किसानों के पराली जलाने की घटनाएं थम नहीं रही हैं. हालांकि अक्टूबर के पहले हफ्ते में पराली जलाने की घटनाएं पिछले साल की तुलना में कम दर्ज हुई हैं, लेकिन बावजूद इसके, पिछले कुछ दिनों में पंजाब और हरियाणा में इन घटनाओं के बढ़ने से दिल्ली एक बार फिर धुंध के घेरे में आ गई है. एक तरफ राज्य सरकारें किसानों से पराली न जलाने की अपील कर रही है, तो दूसरी तरफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल सख्ती बरतते हुए राज्य सरकारों से जवाब मांग रही है. लेकिन नतीजा 'ढाक के तीन पात' जैसा ही नजर आ रहा है.

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मंगलवार को हरियाणा के कुरुक्षेत्र से आई पराली जलाने की इन तस्वीरों ने इन घटनाओं को रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर एक बार फिर सवालिया निशान खड़ा कर दिया.

(फोटो: ANI)
(फोटो: ANI)
(फोटो: ANI)

दिल्ली की हवा खराब'

दिल्ली निवासियों और इसके आसपास रहने वाले लोगों के लिए बुरी खबर ये है कि आने वाले दिनों में इस क्षेत्र की हवा और ज्यादा दूषित होने वाली है. दरअसल, क्षेत्र के हवा की क्वालिटी सोमवार को 'खराब श्रेणी' के सबसे निचले स्तर पर जा पहुंची, जिसमें एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 280 थी. मंगलवार को हवा की गुणवत्ता के और खराब होने के चलते ये 300 के पार पहुंच गया. हवा के 'अत्यंत खराब' श्रेणी में पहुंचने की भविष्यवाणी स्थनीय मौसम की बदलती स्थिति को देखते हुए की गई है. इसकी वजह है कि हरियाणा, पंजाब, और आस-पास के सीमावर्ती क्षेत्रों के खेतों में बड़े पैमाने पर पराली जलाई जा रही है.

एयर क्वालिटी इंडेक्स में शून्य से 50 अंक के बीच को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ श्रेणी का माना जाता है.

NGT ने राज्य सरकारों से मांगी रिपोर्ट

पराली जलाने से रोकने और प्रदूषण पर लगाम लगाने से जुड़ी याचिका पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में मंगलवार को सुनवाई हुई. इस दौरान एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है. एनजीटी ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा, और पंजाब सरकार से पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए की जा रही कोशिशों की रिपोर्ट मांगी है. इस रिपोर्ट को 15 नवंबर तक जमा करने का आदेश दिया गया है, जिससे साफ हो सके कि अक्टूबर से नवंबर के बीच में पराली जलाने से रोकने के लिए सरकार द्वारा क्या-क्या उपाय किए गए हैं. 15 नवंबर को इस मामले में एनजीटी दोबारा सुनवाई करेगा.

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सोमवार को किसान समुदाय से पराली जलाने को रोकने के लिए बड़े स्तर पर शुरू किए गए अभियान में भाग लेने की अपील की. दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सोमवार को प्रदेश के किसानों से अपील की है कि वह फसल काटने के बाद पराली को खेतों में न जलाएं.

ऑड-ईवन की तैयारी में दिल्ली सरकार

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले महीने ही ऐलान कर दिया था कि दिवाली के समय के आसपास प्रदूषण के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए फिर से ऑड-ईवन योजना लागू की जाएगी. यह योजना 4 नवंबर को लागू की जाएगी और 15 नवंबर तक जारी रहेगी. केजरीवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि ऑड-ईवन योजना का उद्देश्य सर्दियों के समय बढ़ने वाले प्रदूषणों को कम करना है, क्योंकि इस दौरान राष्ट्रीय राजधानी के पड़ोसी राज्यों में बड़ी मात्रा में पराली जलाई जाती है, जिससे प्रदूषण में और ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिलती है.

ये भी पढ़ें- पंजाब में बढ़ीं पराली जलाने की घटनाएं, दिल्ली की हवा ‘खराब’

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Published: 15 Oct 2019,09:06 PM IST

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