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कैमरा: सुमित बडोला
वीडियो एडिटर: संदीप सुमन
हरियाणा के जटौला गांव तक पहुंचना बहुत मुश्किल है, गांव में आने के बाद छोटी तंग गलियों से निकलकर आता है राणा का घर. जटौला में रहने वाला हर शख्स राणा को श्रद्धांजलि देने पहुंचा.
50 साल के कॉन्स्टेबल जगबीर सिंह राणा की मौत को कई दिन बित चुके हैं. वे दिल्ली के आजादपुर रेलवे स्टेशन के रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स में काम करते थे. 21 अप्रैल को 4 लोगों की जान बचाने में उनकी जान चली गई. वो 4 लोगों को पटरी से हटाने में तो सफल हो गए थे लेकिन उस कोशिश में खुद ट्रेन की चपेट में आ गए.
रेलवे ट्रैक के पास आजादपुर गांव के लोगों को ठीक से याद है कि कुछ वक्त पहले लोगों को बचाने में एक शख्स की जान चली गई. 'ये रविवार रात 9 बजे की बात है, हमने यहां से एक्सीडेंट होते देखा, मैं वहां तक नहीं गया क्योंकि मुझे चक्कर आने लगे थे.' - ये कहना था आजादपुर के रहने वाले कृष्णा का जिन्होंने भयानक हादसा होते हुए देखा.
राणा के दो बेटे और दो बेटियों के आंसू अब तक नहीं सूखे. राणा की पत्नी सुनीता ने कहा- “वो शाम को 5 बजे घर से निकले और शाम 6:15 बजे तक स्टेशन पहुंचे. सब कुछ ठीक था फिर रात 9:40 बजे फोन आया कि आपके पति की मौत हो चुकी है.
सदमे के कारण सुनीता घर पर ही रहीं लेकिन उनके सबसे बड़े बेटे रोहित अपने परिवार के कुछ लोगों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. उनके बेटे का कहना है -“जब तक हम वहां पहुंचे पापा की मौत हो चुकी थी”
रोहित की दो बहनों की शादी हो चुकी है. उन्हें दूसरे दिन खबर मिली कि उनके पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं. राणा की बड़ी बेटी मोनिका का कहना है कि 'मुझे बताया गया था कि उन्हें चोट लगी है, घायल हैं. लेकिन मुझे दूसरे दिन पता लगा कि उनकी मौत हो चुकी है.”
RPF परिवार की मदद के लिए नॉर्थ रेलवे ने लगभग 2 लाख रुपये परिवार की मदद के लिए जुटाए और राणा की पत्नी सुनीता को दिए.
सुनीता ने क्विंट को बताया कि 2 लाख का चेक मिलने के बाद पूरे देश से RPF ने 19 लाख रुपये जुटाए और सुनीता के अकाउंट में ट्रांसफर किये.
राणा की पत्नी का कहना है कि दिल्ली के सीएम केजरीवाल और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर उनके पति की बहादुरी के लिए उन्हें सम्मान दें.
राणा की बेटी मोनिका का भी यही कहना है कि उनके पिता को उनके जन्मदिन 15 अगस्त को सम्मानित किया जाना चाहिए. 'हम चाहते हैं कि हमारे पिता को 15 अगस्त के दिन सम्मानित किया जाना चाहिए. उन्होंने दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए अपनी जान गंवा दी. हमारा सरकार से बस यही आग्रह है कि हमारे पिता को बहादुरी का पुरस्कार मिलना चाहिए”.
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