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PM नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) ने देशवासियों से अपने सोशल मीडिया हैंडल्स पर अपनी डीपी में तिरंगा(Tricolour) लगाने की अपील की है. बीजेपी नेताओं और नागरिकों के सोशल मीडिया हैंडल्स पर तिरंगे वाली डीपी नजर आने लगी. कांग्रेस ने इसका अपने तरीके से जवाब दिया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी(Rahul Gandhi) ने अपनी डीपी में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु(Jawaharlal Nehru) की तस्वीर लगाई, जिसमें वो तिरंगा लिए खड़े हुए दिख रहे हैं. ये तस्वीर खूब वायरल है.
राहुल गांधी और कांग्रेस नेताओं की डीपी में जवाहरलाल नेहरू की तस्वीर को कई लोगों ने परिवारवाद से जोड़ा और उनके देशप्रेम पर सवाल खड़े किए.
एक एंकर ने अपने शो में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राहुल गांधी के सोशल मीडिया के स्क्रीनशॉट दिखाकर बताया कि राहुल गांधी और PM मोदी के तिरंगे में फर्क है. उन्होंने ये सवाल खड़ा किया कि तिरंगा सर्वोपरि है या उसे हाथ में लेने वाला व्यक्ति?
उधर कांग्रेस ने RSS और उससे जुड़े नेताओं पर अपनी डीपी में तिरंगा नहीं लगाने को लेकर निशाना साधा है. जिस एंकर ने नेहरू के साथ तिरंगे पर सवाल उठाया उसने भी आरएसएस के डीपी में तिरंगे के जगह एक रंग के झंडे पर सवाल नहीं उठाया.
इसी क्रम में एक किस्सा याद आता है- जब आरएसएस ने अपने मुख्यालय पर तिरंगा फहराने वाले तीन लोगों को जेल भिजवाया था.
साल था 2001, तारीख 26 जनवरी, 26 जनवरी यानी भारत का गणतंत्र दिवस 3 लोग, बाबा मेंढे, रमेश कांबले, दिलीप चटवानी नागपुर में मौजूद RSS के मुख्यालय पहुंचे, मकसद था RSS मुख्यालय पर तिरंगा लहराना. ये देशभक्ति के नारे लगाते हुए अंदर घुसे और आरएसएस मुख्यालय पर तिरंगा लहरा दिया. उनका मानना था RSS ने कभी अपने मुख्यालय पर तिरंगा नहीं लहराया है और वे उन्हें बताना चाहते थे देशभक्ति क्या है, इसलिए तीनों ने तिरंगा फहरा दिया.
इसके बाद इनके खिलाफ RSS ने मुकदमा दर्ज करवा दिया, तीनों गिरफ्तार हुए, और 2013 में जस्टिस RR लोहिया ने तीनों को बाइज्जत बरी कर दिया था. केस नंबर था 176/2001 नागपुर.
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