Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News videos  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019“सरकार ने हमें धोखा दिया”- टीचर ट्रेनिंग कर चुके लोगों का दर्द

“सरकार ने हमें धोखा दिया”- टीचर ट्रेनिंग कर चुके लोगों का दर्द

‘बिहार सरकार ने शिक्षकों के साथ धोखा किया’

क्विंट हिंदी
न्यूज वीडियो
Published:
‘सरकार ने शिक्षकों के साथ धोखा  किया’
i
‘सरकार ने शिक्षकों के साथ धोखा किया’
(फोट:क्विंट हिंदी)

advertisement

वीडियो एडिटर: विवेक गुप्ता

वीडियो प्रोड्यूसर: अपर्णा सिंह

बिहार सरकार ने नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) से चर्चा के बाद डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन (D.El.Ed) के तहत प्रशिक्षित शिक्षकों को साफ कह दिया है कि वो सरकारी नौकरी के लिए पात्र नहीं हैं, क्योंकि केंद्र सरकार इस कोर्स को मान्यता नहीं देती.

दो साल पहले ही सरकार ने 18 महीने के विशेष D.El.Ed कोर्स को मान्यता दी थी, लेकिन अब सरकार ने ही इसे अमान्य घोषित कर दिया है. क्विंट ने कुछ शिक्षकों से बात की जो सरकार की इस फैसले से निराश हैं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

क्या है मामला?

दरअसल सरकार ने शिक्षा के अधिकार नियम के तहत 2014 के बाद बिना प्रशिक्षण के शिक्षकों के पढ़ाने पर रोक लगाई थी. हालांकि उस वक्त तक शिक्षकों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य हासिल नहीं हो सका था. इसके बाद ही 2 साल के D.El.Ed कोर्स के बजाए 18 महीनों के विशेष D.El.Ed को मान्यता दी गई.

इस डिप्लोमा कोर्स को NCTE ने शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए मान्यता दी थी. मानव संसाधन मंत्रालय की संस्था नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (NIOS) ने 13 लाख अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी उठाई और 18 महीने का कोर्स कराया.

कई शिक्षकों ने इस कोर्स के बाद अपनी नौकरी तो बचा ली, लेकिन जब सरकारी नौकरी की बात आई तो सरकार के जवाब ने उन्हें अधर में छोड़ दिया.

‘सरकार ने हमें धोखा दिया’

क्विंट ने कुछ ऐसे शिक्षकों से बात की, जिन्होंने 18 महीने के इस विशेष कोर्स को तो पूरा कर लिया, लेकिन अब उनका सपना पूरा नहीं हो पा रहा है.

प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने वालीं आरती कुमार ने D.El.Ed. प्रोग्राम के तहत प्रशिक्षण लिया था, लेकिन फिर भी वो शिक्षक पद के लिए आवेदन नहीं दे पायीं, क्योंकि उन्हें बताया गया कि इसकी मान्यता नहीं है.

“दिक्कत ये है कि सरकार ने विशेष D.El.Ed. को मान्यता नहीं दी है और इस वजह से हम आवेदन नहीं कर पा रहे हैं.”
आरती कुमार, 

सुभाष चंद्र खुद एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षक हैं. उन्होंने क्विंट से कहा कि- “मैंने सोचा था कि भविष्य में मुझे सरकारी नौकरी मिलेगी. इससे मेरे बच्चों को मेरे परिवार को अच्छे से सपोर्ट कर पाउंगा, बच्चों का भविष्य और अच्छा कर पाउंगा, लेकिन सरकार ने हमें धोखा दिया है.”

बिहार सरकार ने कहा कि उन्होंने एनसीटीई के साथ मिलकर इस बात की समीक्षा की कि क्या D.El.Ed के तहत प्रशिक्षण लेने वाले शिक्षकों को सरकारी नौकरी के योग्य माना जाए या नहीं.

D.El.Ed के तहत प्रशिक्षण लेने वाले उमेश गिरी कहते हैं कि उस वक्त के मानव संसाधन विकास मंत्री (एचआरडी) प्रकाश जावड़ेकर ने इसे ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ बताया था.

“एनसीटीई ने कहा कि इस कोर्स को मान्यता इसलिए नहीं मिल सकती है क्योंकि ये 18 महीने का है, लेकिन असलियत ये है कि उस वक्त के एचआरडी मंत्री प्रकाश जावडेकर ने एक बिल पास करवाया था और ये सरकार का ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ माना गया था, ताकि शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा सके.”

जिन शिक्षकों पर इसका प्रभाव पड़ा है उन्होंने एचआरडी मंत्रालय, एनसीटीई और बिहार के शिक्षा मंत्री कृष्णा नंदन वर्मा को भी चिट्ठी लिखी, लेकिन उन्हें सिर्फ निराशा ही हाथ लगी.

D.El.Ed का डिप्लोमा कोर्स करने वाले सोनू कुमार का कहना है, “सरकार को हमारी डिग्री को जल्द से जल्द मान्यता देनी चाहिए, नहीं तो वो बड़े स्तर पर देश भर में प्रदर्शन करेंगे.”

(उमेश कुमार राव के इनपुट से)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT