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ये जो इंडिया है ना... यहां क्या प्रेस आजाद है? रमन कश्यप, नेता की कार से कुचले गए. अविनाश झा को जलाकर मार डाला गया. सुलभ श्रीवास्तव, यूपी के शराब माफियाओं ने हत्या कर दी. रोहित बिस्वाल की माओवादियों के आईईडी धमाके में मौत हो गई. सभी पत्रकार, अपना काम करते-करते मारे गए
आसिफ सुल्तान, कश्मीरी पत्रकार, 2018 से जेल में हैं. फहद शाह, मुख्तार जहूर, मनन गुलज़ार डार, जुनैद पीर .. सभी कश्मीरी पत्रकार, गिरफ्तार या हिरासत में हैं. केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन, यूएपीए के तहत 2020 से यूपी में जेल में बंद हैं. 'बुली बाई' और 'सुल्ली डील' के जरिए मुस्लिम महिला पत्रकारों की ऑनलाइन नीलामी की गई. पत्रकारों को राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने, पुलिस ने, जनता की भीड़ ने पीटा. एफआईआर और टैक्स छापे से पत्रकार और समाचार आउटलेट परेशान हो रहे हैं. ये जो इंडिया है ना... हमें याद रखना चाहिए- प्रेस की आजादी के बिना आप आजाद नहीं हैं!
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