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क्या WPL से महिला क्रिकेट की धुंधली चमक में निखार आ जाएगा?
क्या भारतीय फैन्स वीमेन क्रिकेट में दिलचस्पी दिखाएंगे?
क्या WPL भारतीय टैलेंट को दुनिया के सामने ला पाएगा?
कुछ इस तरह के सवाल WPL की शुरुआत में थे, लेकिन अब जब ये मेला लगभग खत्म हो चुका है तो सवाल को थोड़ा सा घुमा देते हैं, और पूछते हैं कि क्या भारत अपनी ही महफिल में लुट गया या भारत ने महफिल लूट ली?
WPL का ये पहला सीजन है, इसलिए न तो बहुत ज्यादा उम्मीदें लगाना ठीक हैं और न ज्यादा तुलना करना, लेकिन फिर भी आप ये तो जरूर जानना चाहेंगे कि इसमें भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन कैसा रहा. आप खुद देखिए. लीग स्टेज खत्म होने के बाद के स्टैट्स
सबसे ज्यादा रन बनाने वाली टॉप पांच खिलाड़ियों में कोई भारतीय नहीं.
टॉप 5 विकेट टेकिंग गेंदबाजों में एक भारतीय
टॉप 5 हाइएस्ट स्कोरर्स में सिर्फ एक भारतीय
टॉप 5 बेस्ट बॉलिंग फिगर्स में सिर्फ एक भारतीय
बैटिंग एवरेज में भी टॉप 5 में सिर्फ एक भारतीय
चौके मारने वाले टॉप 5 बल्लेबाजों में सिर्फ 1 भारतीय
छक्के मारने में भी टॉप 5 में सिर्फ एक भारतीय
और ये जो 1 बार-बार आ रहा है ये या तो शेफाली वर्मा हैं या हरमनप्रीत कौर, तो अब आप समझ गए होंगे कि कम से कम प्रदर्शन के मामले में तो भारतीय खिलाड़ी अपनी ही महफिल में फेल साबित होते दिख रहे हैं.
विदेशी खिलाड़ियों ने जमकर वाहवाही बटोरी और खूब इनाम भी जीते. लीग स्टेज तक खेले गए 20 में से सिर्फ 6 मैच में भारतीय खिलाड़ी प्लेयर ऑफ द मैच का अवॉर्ड अपने नाम कर पाए और इसमें भी 3 बार अकेले हरमनप्रीत विजेता रही हैं. भारतीय खिलाड़ी अपने ही मैदान में, अपने माहौल में अपनी छाप नहीं छोड़ पाए.
WPL के बारे में ये बात कुछ खिलाड़ियों ने भी स्वीकार की है. ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी एलिसे पेरी कहती हैं कि "हम इस तरह के इवेंट का हिस्सा होकर अपने आप को काफी भाग्यशाली मानते हैं. इतने बड़े क्राउड के सामने खेलना काफी शानदार लगता है. ये प्रतियोगिता भारत में महिला क्रिकेट के लिए क्या कर सकती है इसकी कोई सीमा नहीं." आशा शोभना कहती हैं कि
इसके इतर देखें तो WPL में रोमांच की कोई कमी नहीं है, इसकी शुरुआती 12 पारियों में ही 4 बार 200 रन से बड़े स्कोर बन गए. विदेशी लीग्स से इसकी तुलना करें तो ऑस्ट्रेलिया के महिला बिग बैश लीग में 8 सीजन और 922 पारियों में सिर्फ 4 बार 200 रन से बड़े स्कोर बने.
इंग्लैड के द हंड्रेड में 2 सीजन और 117 पारियों के बाद सिर्फ 5 बार 160 रन से ज्यादा के स्कोर बन पाए. यानी अपने न मंच की कमी है न रोमांच की, बस अब कमी है तो प्रदर्शन के पंच की.
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