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बीजेपी सांसद परवेश वर्मा छठ मईया के बहाने यमुना मईया में सियासी डुबकी लगाने गए थे. कैमरा सामने था तो सामने जो आया उसे ही लगे रगेदने. यमुना में जितना झाग नहीं उठता, उतना इनका गुस्सा उबला दिल्ली जलबोर्ड के एक अफसर पर. संजय शर्मा नाम का ये अफसर यमुना में छठ के दौरान झाग को कम करने के लिए सिलिकॉन डिफॉगर डाल रहा था. लेकिन परवेश वर्मा की ये सियासत आफत बनते देर न लगी. मौके पर मौजूद कुछ लोगों ने सांसद महोदय से कठिन सवाल पूछ लिए. जाहिर है इसके जवाब परवेश तो क्या दिल्ली के नेता के पास नहीं हैं.
यमुना एक्शन प्लान एक, दो और तीन बीत गया, 5 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च हो गए लेकिन हाय री यमुना. उसका आंचल मेटमैला से काला हो गया. कोई इन नेताओं से पूछे कि यमुनोत्री से चली नीली यमुना दिल्ली में काली क्यों हो जाती है? यमुना करीब 1400 किलोमीटर तक बहती है, इसका सिर्फ 2 फीसदी हिस्सा दिल्ली से गुजरता है लेकिन यहां 80 फीसदी से ज्यादा प्रदूषण मिलता है. कोई सभी सियासी पार्टियों से पूछे कि दिल्ली में जो 40 से अधिक नाले यमुना में गिरते हैं उसे आजतक क्यों नहीं रोक पाए?
दिल्ली सरकार कहती है कि हरियाणा, जहां बीजेपी की सरकार है, वहां के पानीपत ड्रेन नंबर DD1, DD2, रोहतक X रेगूलेटर, DD-6 और DD-8 से ज्यादातर गंदगी यमुना में मिल रही है. हरियाणा सरकार इससे इनकार करती है. लेकिन जब दो राज्यों में विवाद है तो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कहां है? किसके अंडर आता है? क्या बीजेपी के पास इस बात का जवाब है कि बीजेपी की सरकार वाले यूपी के मथुरा में रिफाइनरी से पेट्रोलियम बेस्ड हाइड्रोकार्बन्स आज भी यमुना में क्यों गिर रहे हैं. क्यों आगरा में शहर और कारखानों का गंदा पानी यमुना में गिरता है? क्यों जब डोनाल्ड ट्रंप आए तो ताजमहल के पास टैंकरों से यमुना में पानी डाला गया था. क्या छुपाना था?
दिल्ली जल बोर्ड केजरीवाल के पास है, इसलिए उनकी जिम्मेदारी है. यमुना पर जाहिर है वो अपना वादा पूरा नहीं कर पाए. लेकिन जब दिल्ली में सरकार का मतलब केंद्र के बिठाए हुए उपराज्यपाल हैं तो केंद्र की भी जिम्मेदारी है या नहीं? जब आप केजरीवाल की हर छोटी-बड़ी योजना को अटका सकते हैं तो क्यों नहीं हंगामा खड़ा करते जब देखते हैं कि यमुना में अमोनिया की मात्रा 1 PPM यानी पार्ट्स पर मिलियन हो गई है, ये इतना ज्यादा है कि इसे ट्रीट नहीं किया जा सकता.
बात सिर्फ छठ पूजा की नहीं है. यमुना दिल्ली की लाइफ लाइन है. छठ दिल्ली में रोज 935 मिलयन गैलन पानी की सप्लाई होती है, इसमें से 230 मिलियन गैलन पानी यमुना से आता है. तो ये दिल्ली वालों की जिंदगी का सवाल है. यमुना का जहर दिल्ली की मिट्टी और भूजल का कैंसर फैला रहा है. छठ पर इस सियासी शोर के पीछे नीयत में बैठे चोर को सब देख रहे हैं. सच ये है कि यमुना को साफ करने के प्रयास हुए हैं, हो रहे हैं, लेकिन ये उतने ही कम हैं जितना कम यमुना में पानी. यमुना की गंदगी आईना है, जिसमें नेताओं की मैली नीयत दिखती है.
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