Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019'मुंडन'-हरिशंकर परसाई की कहानी, संपत सरल की जुबानी

'मुंडन'-हरिशंकर परसाई की कहानी, संपत सरल की जुबानी

हिन्दी दिवस पर पढ़िए लेखक और व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की कहानी

मौसमी सिंह
वीडियो
Updated:
<div class="paragraphs"><p>हिंदी के प्रसिद्ध लेखक और व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की कहानी ‘मुंडन’</p></div>
i

हिंदी के प्रसिद्ध लेखक और व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की कहानी ‘मुंडन’

(फोटो- द क्विंट)

advertisement

एंकर: संपत सरल

वीडियो एडिटर: पूर्णेन्दु प्रीतम

इलस्ट्रेशन: इरम गौर

हिंदी दिवस के अवसर पर संपत सरल की जुबानी सुनिए मशहूर व्यंग्यकार और लेखक हरिशंकर परसाई का व्यंग्य 'मुंडन'.

मुंडन

किसी देश की संसद में एक दिन बड़ी हलचल मची. हलचल का कारण कोई राजनीतिक समस्या नहीं थी, बल्कि यह था कि एक मंत्री का अचानक मुंडन हो गया था. कल तक उनके सिर पर लंबे घुंघराले बाल थे, मगर रात में उनका अचानक मुंडन हो गया था.

सदस्यों में कानाफूसी हो रही थी कि इन्हें क्या हो गया है, अटकलें लगने लगीं. किसी ने कहा,‘शायद सिर में जूं हो गई हो.’ दूसरे ने कहा,‘शायद दिमाग में विचार भरने के लिए बालों का पर्दा अलग कर दिया हो.’ किसी और ने कहा, ‘शायद इनके परिवार में किसी की मौत हो गई.’ पर वे पहले की तरह प्रसन्न लग रहे थे.

मंत्रीजी के मुंडन पर एक सदस्य का वक्तव्य

इलस्ट्रेशन: इरम गौर

आखिर एक सदस्य ने पूछा, ‘अध्यक्ष महोदय! क्या मैं जान सकता हूं कि माननीय मंत्री महोदय के परिवार में क्या किसी की मृत्यु हो गई है?’

मंत्री ने जवाब दिया, ‘नहीं.’

सदस्यों ने अटकल लगाई कि कहीं उन लोगों ने ही तो मंत्री का मुंडन नहीं कर दिया, जिनके खिलाफ वे बिल पेश करने का इरादा कर रहे थे.

एक सदस्य ने पूछा, ‘अध्यक्ष महोदय! क्या माननीय मंत्री को मालूम है कि उनका मुंडन हो गया है? यदि हां, तो क्या वे बताएंगे कि उनका मुंडन किसने कर दिया है?’

मंत्री ने संजीदगी से जवाब दिया, ‘मैं नहीं कह सकता कि मेरा मुंडन हुआ है या नहीं!’

कई सदस्य चिल्लाए,‘हुआ है! सबको दिख रहा है.’

मंत्री ने कहा,‘सबको दिखने से कुछ नहीं होता. सरकार को दिखना चाहिए.

सरकार इस बात की जांच करेगी कि मेरा मुंडन हुआ है या नहीं.’

एक सदस्य ने कहा,‘इसकी जांच अभी हो सकती है. मंत्री महोदय अपना हाथ सिर पर फेरकर देख लें.’

मंत्री ने जवाब दिया,‘मैं अपना हाथ सिर पर फेरकर हर्गिज नहीं देखूंगा. सरकार इस मामले में जल्दबाजी नहीं करती. मगर मैं वायदा करता हूं कि मेरी सरकार इस बात की विस्तृत जांच करवाकर सारे तथ्य सदन के सामने पेश करेगी.’

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

सदस्य चिल्लाए,‘इसकी जांच की क्या जरूरत है? सिर आपका है और हाथ भी आपके हैं. अपने ही हाथ को सिर पर फेरने में मंत्री महोदय को क्या आपत्ति है?’

मंत्री बोले,‘मैं सदस्यों से सहमत हूं कि सिर मेरा है और हाथ भी मेरे हैं. मगर हमारे हाथ परंपराओं और नीतियों से बंधे हैं. मैं अपने सिर पर हाथ फेरने के लिए स्वतंत्र नहीं हूं. सरकार की एक नियमित कार्यप्रणाली होती है. विरोधी सदस्यों के दबाव में आकर मैं उस प्रणाली को भंग नहीं कर सकता. मैं सदन में इस संबंध में एक वक्तव्य दूंगा.’

शाम को मंत्री महोदय ने सदन में वक्तव्य दिया,

‘अध्यक्ष महोदय! सदन में ये प्रश्न उठाया गया कि मेरा मुंडन हुआ है या नहीं? यदि हुआ है तो किसने किया है? ये प्रश्न बहुत जटिल है. और इस पर सरकार जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं दे सकता. मैं नहीं कह सकता कि मेरा मुंडन हुआ है या नहीं. जब तक जांच पूरी न हो जाए, सरकार इस संबंध में कुछ नहीं कह सकती. हमारी सरकार तीन व्यक्तियों की एक जांच समिति नियुक्त करती है, जो इस बात की जांच करेगी. जांच समिति की रिपोर्ट मैं सदन में पेश करूंगा.’

मंत्रीजी के वक्तव्य पर सदन में हंगामा

इलस्ट्रेशन: इरम गौर

सदस्यों ने कहा,‘यह मामला क़ुतुब मीनार का नहीं, जो सदियों जांच के लिए खड़ी रहेगी. यह आपके बालों का मामला है, जो बढ़ते और कटते रहते हैं. इसका निर्णय तुरंत होना चाहिए.’

मंत्री ने जवाब दिया, ‘क़ुतुब मीनार से हमारे बालों की तुलना करके उनका अपमान करने का अधिकार सदस्यों को नहीं है. जहां तक मूल समस्या का संबंध है, सरकार जांच के पहले कुछ नहीं कह सकती.’

जांच समिति सालों जांच करती रही. इधर मंत्री के सिर पर बाल बढ़ते रहे.

एक दिन मंत्री ने जांच समिति की रिपोर्ट सदन के सामने रख दी.

जांच समिति का निर्णय था कि मंत्री का मुंडन नहीं हुआ था.

सत्ताधारी दल के सदस्यों ने इसका स्वागत हर्ष-ध्वनि से किया.

सदन के दूसरे भाग से, ‘शर्म-शर्म’ की आवाजें उठीं. ऐतराज उठे, ‘यह एकदम झूठ है. मंत्री का मुंडन हुआ था.’

मंत्री मुस्कुराते हुए उठे और बोले,‘यह आपका ख़्याल हो सकता है. मगर प्रमाण तो चाहिए. आज भी अगर आप प्रमाण दे दें तो मैं आपकी बात मान लेता हूं.’

ऐसा कहकर उन्होंने अपने घुंघराले बालों पर हाथ फेरा और सदन दूसरे मसले सुलझाने में व्यस्त हो गया.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 14 Sep 2021,10:29 AM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT