Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019पद्मावत: अलाउद्दीन खिलजी ‘ना मतलब ना’ समझ जाता तो खलनायक नहीं होता

पद्मावत: अलाउद्दीन खिलजी ‘ना मतलब ना’ समझ जाता तो खलनायक नहीं होता

साल 1540 के आसपास मतलब आज से 450 साल पहले मलिक मोहम्मद जायसी की लिखी कविता की सच्चाई क्या है?

शादाब मोइज़ी
वीडियो
Updated:
पुरुषोत्तम अग्रवाल की ‘पद्मावत: एक महान प्रेम कहानी’.
i
पुरुषोत्तम अग्रवाल की ‘पद्मावत: एक महान प्रेम कहानी’.
(फोटो: द क्विंट)

advertisement

संजय लीला की फिल्म ‘पद्मावत’ को लेकर शोर, हंगामे, तोड़ फोड़ सब देखे, लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या ये कहानी सच्ची थी या फिर अफसाना? साल 1540 के आसपास मतलब आज से 450 साल पहले मलिक मोहम्मद जायसी की लिखी कविता की सच्चाई क्या है? इसी भ्रम और हंगामे को देखते हुए लेखक पुरुषोत्तम अग्रवाल ने ‘पद्मावत: एक महान प्रेम कहानी’ नाम की किताब लिखी.

इसी किताब को लेकर क्विंट हिंदी से बात करते हुए पुरषोत्तम अग्रवाल कहते हैं कि पद्मावत की कहानी को लेकर लोगों में अज्ञानता और समझ की कमी की वजह से उन्हें ये किताब लिखनी पड़ी.

जब मैं कॉलेज में बच्चों को मोहम्मद जायसी की लिखी पद्मावत सुनाता था तो पूरे क्लास की आंखें भीग जाती थी. बहुत मार्मिक प्रेम कहानी है.
पुरषोत्तम अग्रवाल, लेखक
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

मलिक मोहम्मद जायसी की लिखी कविता है पद्मावत

193 पन्नों की इस किताब में पुरषोतम अग्रवाल ने मालिक मोहम्मद जायसी की लिखी कविता पद्मावत के बहुत से पहलुओं को उजागर करने की कोशिश की है जो संजय लीला भंसाली की फिल्मों में दूर-दूर तक नहीं है. पुरषोत्तम बताते हैं,

जायसी की पद्मावत में पद्मावती और राजा रतन सिंह के प्रेम के बारे में तो बात की गई है साथ ही रानी पद्मिनी और तोते हीरामन के रिश्ते को भी बताया है. जबकि फिल्म से हिरामन का किरदार गायब है. हिरामन सिर्फ पद्मावती का दोस्त ही नहीं बल्कि उसका गाइड, फिलॉस्फर भी है. पद्मिनी और हीरामन के बीच कृतज्ञता का रिश्ता है. उसी तरह जायसी का अलाउद्दीन खिलजी खलनायक है, लेकिन फिल्म की तरह राक्षस नहीं है.

पुरषोत्तम अग्रवाल पद्मावत की कहानी को आज के माहौल से जोड़ते हुए बताते हैं, “आज के समय में हम हिंसा से भरे हुए हैं, अगर आज किसी लड़की से आप प्यार करते हैं और वो नहीं मानती है तो आप उस पर तेजाब डाल देते हैं. लेकिन इसके ठीक उल्ट जायसी का राजा रतनसेन खुद सति हो जाने को तैयार है, खुद मर जाने को तैयार है, लेकिन पद्मावत को कुछ नहीं होने दे सकता है. ये जो प्रेम की पीड़ा है, आदर्श है, गहराई है ये सब इस किताब में है.”

इस किताब में पुरषोत्तम अग्रवाल ने सिर्फ पद्मावती और राजा रतनसेन की प्रेम कहानी ही नहीं बल्कि राजा रतनसेन की पहली पत्नी नागमती के दर्द को भी बयान किया है.

ये भी पढ़ें-

पद्मावती विवाद: फायदा तो भंसाली और करणी सेना का ही हुआ ना

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 06 Jun 2018,12:06 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT