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कैमरा: शिव कुमार मौर्या
वीडियो एडिटर: मो इरशाद आलम
स्क्रिप्ट: खेमता जोस
पाकिस्तान ने खुद को लगभग जंग की हालत में झोंक दिया था, उस भारत के साथ, जो उससे कहीं ज्यादा ताकतवर है और परमाणु हथियारों से लैस है. लेकिन पाकिस्तान की परेशानी यहीं नहीं थमती. अलगाववादियों को पनाह देने से लेकर, पड़ोसियों को नाराज करने जैसे कम से कम 7 मोर्चे हैं, जहां इमरान खान के ‘नया पाकिस्तान’ को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
पुलवामा हमले के 2 दिन बाद, ईरान ने बयान जारी किया और भारत की हां में हां मिलाते हुए काफी हद तक पाक-प्रायोजित आतंकवाद की निंदा की.
ये आरोप है रिवॉल्यूशनरी कमांडर मेजर जनरल मोहम्मद अली जाफरी का, जो ‘आर्मी ऑफ जस्टिस’ का जिक्र कर रहे थे. पाकिस्तान में छिपी ये सेना, ईरान विरोधी आतंकी संगठन है. पहले भी इन पर बम विस्फोट कर बस में सवार ईरानी सैनिकों की जान लेने और कई बार ईरान के सीमा पर मौजूद सुरक्षा गार्ड को अगवा करने के इल्जाम लग चुके हैं.
ईरान ने आरोप लगाया है कि सऊदी अरब से संरक्षण पाने वाली इस सेना का डेरा पाकिस्तान में है. ईरान ने धमकी दी है कि अगर पाकिस्तान की सरकार इस सेना के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती, तो वो पाकिस्तानी सीमा में घुसकर उन्हें सबक सिखाएगा.
अफगानी सेना पाकिस्तान सेना से दो-दो हाथ करने को तैयार बैठी है. अफगान सरकार भी पाकिस्तान से खुश नहीं. जनवरी में अफगानिस्तान ने पाकिस्तान की शिकायत संयुक्त राष्ट्र संघ से की, अफगानिस्तान ने कहा कि पाकिस्तान तालिबान के साथ शांति वार्ता के लिए दबाव डाल रहा है. फरवरी में अफगानिस्तान ने यूएन को दोबारा खत लिखा कि पाकिस्तान की सेना अफगानिस्तान के अंदरूनी मामलों में “दखल” दे रही है.
ये इलाका CPEC प्रोजेक्ट का अभिन्न अंग है. हाल में यहां भी गड़बड़ी हुई. बलूची लड़ाकों ने बालाकोट में भारतीय वायु सेना के हमले से कुछ ही दिन पहले एक वीडियो जारी किया. वीडियो में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ दिखाया गया था. पिछले कुछ हफ्तों में बलूची लड़ाकों के साथ गोलीबारी में 15 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हुई है.
लोरलाई हमला, डेरा इस्माइल खां हमला, तुर्बत, CPEC रूट पर 9 की मौत ...ये तो बस, कुछेक उदाहरण हैं.
बलूची अलगाववादी पश्चिम इलाके में पड़ने वाले अपने प्रांत को पाकिस्तान से आजाद कराना चाहते हैं. अलगाववदियों का आरोप है कि पाकिस्तान जानबूझकर उनके प्रांत की गरीबी मिटाने पर ध्यान नहीं दे रहा और वहां के संसाधनों का इस्तेमाल अमीर पंजाब प्रांत को और अमीर बनाने के लिए किया जा रहा है. ये अलगाववादी आंदोलन पाकिस्तान के लिए भारी सिरदर्दी हैं, क्योंकि अतीत में इन्होंने चीनी नागरिकों और CPEC प्रोजेक्ट को भी निशाना बनाया है.
खैबर पख्तूनख्वा में पाकिस्तान को पश्तून प्रोटेक्शन मूवमेंट के रूप में भारी नागरिक अशांति का सामना करना पड़ रहा है. आमतौर पर ये शांतिपूर्ण रैलियां होती हैं, जिसमें नियमित रूप से हजारों लोग हिस्सा लेते हैं. पाकिस्तान सरकार के दबाव में इन रैलियों का पूरी तरह मीडिया ब्लैकआउट किया हुआ है. सरकार ने न्यू याॅर्क टाइम्स के उस आर्टिकल पर भी रोक लगा दी, जिसमें पाकिस्तानी सेना पर जोर-जबर्दस्ती करने, अगवा करने और पश्तूनों की हत्या करने के आरोप लगे थे.
पश्तूनों की मांग है कि उनकी बेवजह हत्याएं बंद हों, उनकी नस्ल को नेस्तनाबूद करने की सरकार की कोशिशें खत्म हों और जनजातीय इलाके में लगे लैंडमाइन्स हटाए जाएं.
सिंध के अलगाववादियों पर भी पाकिस्तानी सेना जुल्म ढाती रही है. जनवरी में प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तानी सुरक्षा बलों पर सिंधी विद्रोहियों को अगवा करने और उनकी हत्या करने का आरोप लगाते हुए पाकिस्तान विरोधी प्रदर्शन किया. सिंध के अलगाववादी राजनीतिक नेताओं ने ‘नापाक मजहबी राज्य “this filthy theocratic state” के खिलाफ सभी सिंधियों को एक होने का ऐलान किया है.
निर्वासित JSMM अध्यक्ष शफी बुरफत ने पाकिस्तान की क्रूरता पर ध्यान दिलाने के लिए सिंधी एक्टिविस्ट के टॉर्चर, किडनैपिंग और हत्या का मामला विरोध प्रदर्शनों के लिए उठाया है. उन्होंने भारत समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान को नेस्तनाबूद करने, लेकिन आम नागरिकों और सिंधुदेश को बचाने की अपील की है.
इस विवादास्पद इलाके में चीन प्रायोजित CPEC प्रोजेक्ट, भूमि अधिग्रहण और डेमोग्राफिक बदलाव के खिलाफ शिया समुदाय के विरोध-प्रदर्शन होते रहे हैं. 2018 में पाकिस्तानी सरकार ने इस इलाके की स्वायत्तता समाप्त करने और इसे पाकिस्तान का पांचवां प्रांत बनाने का आदेश दिया था. इस आदेश का जमकर विरोध हुआ. प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को हवा में गोलियां चलानी पड़ीं और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े, जो धरना देने के लिए असेम्बली की ओर बढ़ रहे थे.
पाकिस्तान पर भारी-भरकम कर्ज है और प्रधानमंत्री इमरान खान ने साफतौर पर कहा है कि देश को पैसों की सख्त जरूरत है. इमरान खान, चीन और सऊदी अरब से मदद की गुहार लगा चुके हैं. सऊदी अरब ने पाकिस्तान को 26 बिलियन डॉलर का कर्ज, देर से तेल का कर्ज चुकता करने की सुविधा और इन्वेस्टमेंट के रूप में मदद दी है. 26 बिलियन कर्ज तेल कर्ज चुकता करने में देरी कर्ज चीन ने इस बात का खुलासा नहीं किया है कि उसने पाकिस्तान को कितनी मदद दी है. उधर इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड ने साफ इंकार कर दिया है कि जब तक पाकिस्तान अपने खर्चों में पूरी पारदर्शिता नहीं दिखाएगा, तब तक उसे एक पाई भी नहीं दिया जाएगा. चीन इसके विरोध में है. शायद वो नहीं चाहता कि पाकिस्तान पर चीन के कर्ज का खुलासा हो जाए.
इतनी सारी परेशानियों के बीच पाकिस्तान शायद ही भारत के साथ जंग मोल ले और वो भी, जब भारत में चुनाव सिर पर हों.
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