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“पहलू खान आज भी दोषी है. सरकार ने उन्हें क्लीन चिट नहीं दी है. अब इस मामले (गाय तस्करी मामले) की फिर से जांच करने के आदेश जारी किए हैं. जब उसका नतीजा आएगा, तब हम देखेंगे.”
14 अगस्त को बरी किए गए 6 आरोपियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील हुकुम चंद शर्मा ने क्विंट से बात की.
आपने कहा कि पहलू खान मामले के फैसले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश गया है. इसके बारे में बताएं?
फैसले पर हव्वा खड़ा कर दिया गया, जबकि इसकी कोई जरूरत नहीं थी. इस मामले के लिए कलेक्टर का ऑफिस खुला और फैसला आया. इससे पहले कि हमें भी फैसले की एक कॉपी मिलती, कलेक्टर ने फैसले के खिलाफ अपील करने के आदेश जारी करना शुरू कर दिया. इसकी इतनी जल्दी क्या थी? अपील दायर करने के लिए आपके पास 90 दिन हैं. सरकार को ऐसी क्या परेशानी हो गई?
फैसले से लोगों में नाराजगी है. वीडियो सबूत के बावजूद सभी आरोपियों को केस से बरी कर दिया गया.
आरोपी पीटने वालों में से नहीं थे. इन्होने मारपीट नहीं की. वे वहां मौजूद नहीं थे. तो उन्हें किस आधार पर सजा दी जा सकती है? जिन्होंने पिटाई की, वो कौन लोग थे, कौन नहीं...इसके बारे में हम क्या कह सकते है? हम तो सिर्फ इन 6 लोगों के बारे में कह सकते हैं.
क्या वे छह लोग जो बरी किए गए, वे दक्षिणपंथी संगठनों से ताल्लुक रखते है?
यह सच नहीं है. वे किसी भी संगठनों से नहीं जुड़े हैं. और पहलू खान ने जिन छह लोगों का नाम लिया था, मैं उन पर टिप्पणी नहीं कर सकता क्योंकि मैंने उनका प्रतिनिधित्व नहीं किया.
आपने कहा है कि पहलू खान लिंचिंग मामले का राजनीतिकरण किया गया है. इसके बारे में बताएं.
राजनीतिक लोग वोट बटोरने के लिए इस केस को इतना हाईलाइट कर रहे हैं, जबकि ऐसा कोई केस नहीं था. हमारे यहां हिंदू और मुसलमान का कोई झगड़ा नहीं है. लेकिन कुछ राजनीतिक लोगों ने अपनी रोटियां सेंकने के लिए इस मुद्दे को इतना हाईलाइट कर दिया. पूर्व पीएम इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की भी हत्या कर दी गई थी. उनकी हत्या पर तो संसद और विधानसभा में इतने सवाल नहीं उठाए गए. लेकिन एक गाय तस्कर पहलु खान है, जिसके खिलाफ चार्जशीट दायर है, उसके लिए सरकार इतनी हिल रही है. उसके लिए लोकसभा और राजस्थान सरकार में भी सवाल उठाए जा रहे हैं.
इस बात की आलोचना हो रही है कि पुलिस जांच पक्षपातपूर्ण थी, क्योंकि जब चार्जशीट दायर हुई थी तो बीजेपी सरकार सत्ता में थी. इस पर आपकी टिप्पणी?
नहीं, इसमें कोई तर्क नहीं है. जांच वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की गई थी और उसके बाद ही चार्जशीट पेश की गई. अंदर ही अंदर क्या हुआ, ये अलग मुद्दा है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं था कि बीजेपी की सरकार थी तो जांच में कोई समझौता किया गया हो.
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