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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम
कैमरा: आकांक्षा कुमार
19 साल के सूरज सिंह अपनी नई नौकरी के बारे में बात करते हुए हताशा से भरे नजर आते हैं. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत रिटेल में चार महीने का कोर्स पूरा करने के बावजूद सूरज एक जींस फैक्ट्री में बतौर मजदूर काम कर रहा है. कौशल विकास केंद्र से सर्टिफिकेट मिलने के बाद नौकरी के बेहतर मौकों की उम्मीद जागी जरूर थी पर पूरी न हो सकी.
चार भाई-बहनों के बीच सूरज सबसे बड़ा है और नौकरी करने को मजबूर भी. पिता ड्राइवर की नौकरी करते हैं.
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत ट्रेनिंग पाने वालों सूरज अकेला नहीं है. 2022 तक 40 करोड़ लोगों को ट्रेन करने की योजना है.
21 साल की सुषमा ने नोएडा में एक प्राइवेट कंपनी में इंटरव्यू तो दिया लेकिन उसे कभी उस कंपनी से बुलावा नहीं आया. वो ये नहीं समझ पाई कि अच्छी बातचीत के बाद भी उसकी नौकरी क्यों नहीं लगी. इसके बाद एक इंश्योरेंस कंपनी ने उसे 5000 रुपये का ऑफर दिया. लेकिन इसके लिए सुषमा ने कोर्स नहीं किया था.
दिल्ली में काफी कम प्राइवेट कंपनियां हैं जो इन लोगों नियमों के मुताबिक पैसा दे रही हैं, स्किल्ड कर्मचारियों के लिए ये 16000 रुपये है
दिल्ली के किराड़ी में कौशल केंद्रों को चलाने वालों को अब प्लेसमेंट कम होने से चिंता हो रही हैं. प्रतिज्ञा एजुकेशन सेंटर की प्रभारी सोमलता के मुताबिक,
स्कीम की मुताबिक नए बैच के लिए फंड तभी मिलेगा अगर ट्रेनिंग सेंटर 50% प्लेसमेंट दिखाए. अच्छी जॉब और सैलरी की इन छात्रों की उम्मीद पर पानी फिर गया है. इन छात्रों को अब अपना भविष्य अधर में लटका दिख रहा है. PMKVY के तहत आने वाले छात्र अब नौकरी के दूसरे विकल्पों की तलाश कर रहे हैं.
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