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प्रियंका कांग्रेस की किस्मत बदल पाएंगी या नहीं? ‘बनारस’ की राय

पूर्वी यूपी में कांग्रेस महासचिव के तौर पर प्रियंका गांधी को उतारकर राहुल गांधी ने बड़ा दांव खेला है.

विक्रांत दुबे
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प्रियंका कांग्रेस की किस्मत बदल पाएंगी या नहीं? ‘बनारस’ की राय
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प्रियंका कांग्रेस की किस्मत बदल पाएंगी या नहीं? ‘बनारस’ की राय
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर- पूर्णेेंदु प्रीतम

पूर्वी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस महासचिव के तौर पर प्रियंका गांधी वाड्रा को उतारकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बड़ा दांव खेला है. 2019 के आम चुनाव के ऐन वक्त पर ये फैसला लिया गया है, क्या इससे यूपी में कांग्रेस की बात बन सकेगी? युवा प्रियंका गांधी को लेकर क्या राय रखते हैं? क्विंट ने प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस के बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में युवाओं से इस मुद्दे पर राय जानी.

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चर्चा में शामिल युवाओं की राय मिली जुली रही. कोई इसे कांग्रेस का बड़ा कदम बता रहा था, तो किसी को ऐसा लग रहा था कि इससे कांग्रेस को जमीनी स्तर पर कोई फायदा नहीं मिलने वाला है.

इन्हीं में से एक छात्र का मानना है कि प्रियंका गांधी को न तो राजनीतिक अनुभव है और न ही उन्होंने ऐसा कुछ किया है, जिससे लोगों से उनका जुड़ाव साबित हो सके. उनकी बात को काटते हुए दूसरे छात्र कहते हैं प्रियंका गांधी तो राजनीति में पहले ही पांव जमा चुकी हैं. पहले उन्होंने अपने आप को अमेठी और रायबरेली दो सीटों पर सीमित रखा था. अब वो पूरे उत्तर प्रदेश में अपने राजनीतिक कौशल का प्रदर्शन कर सकती हैं.


चौपाल में शामिल हुई एक छात्रा कहती हैं कि प्रियंका गांधी या किसी और के आने से राजनीति नहीं बदल सकती. क्योंकि इसका स्वरूप ही बिगड़ा हुआ है. सरकार बदल जाती है, लेकिन महिलाओं की, युवाओं की स्थिति नहीं बदलती.

कांग्रेस को कैसे होगा फायदा?

बीएचयू के एक छात्र कहते हैं कि प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में आने से कांग्रेस के लिए लोगों को जुड़ाव बढ़ेगा.

प्रियंका गांधी को लाने का जो मकसद है वो है भावनात्मक जुड़ाव, महिलाओं से जुड़ाव होता है, जब इंदिरा गांधी थीं, तो भी वो लोगों से मिलती थी. जो आम आदमी से सीधा जुड़ाव होता है, भावनात्मक और संवेदनात्मक जुड़ाव होता है. जो मोदीजी भी लोगों से मिलकर करते हैं, उसका असर तो पड़ेगा.
छात्र, बीएचयू

बनारस का रुख बदला है?

ये वही बनारस है जहां पर 2014 में हर-हर मोदी के नारे लगाए जाते हैं. बनारस में हर-हर शब्द सिर्फ महादेव के आगे लगता था और मोदी के खिलाफ लोग एक शब्द सुनने को तैयार नहीं थे. लेकिन माहौल में किस तरह का बदलाव है, वो साफ तौर पर देख सकते हैं. चर्चा में शामिल कुछ लोगों को लगता है कि प्रियंका गांधी के आने से बदलाव हो रहा है तो किसी को लगता है कि नरेंद्र मोदी के टक्कर में या नरेंद्र मोदी के खिलाफ जिस तरह से उन्हें खड़ा किया गया है, उसमें सफलता नहीं मिल सकेगी.

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