Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019नवजोत सिंह सिद्धू Vs बिक्रम मजीठिया: वोट का पैटर्न किसकी जीत के संकेत दे रहा है?

नवजोत सिंह सिद्धू Vs बिक्रम मजीठिया: वोट का पैटर्न किसकी जीत के संकेत दे रहा है?

नामी कैंडिडेट्स को देखते हुए लोगों को उम्मीद थी कि अमृतसर ईस्ट विधानसभा में बंपर वोटिंग होगी पर ऐसा कुछ नहीं हुआ

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<div class="paragraphs"><p>अमृतसर-पूर्व: नवजोत सिद्धू के खिलाफ बिक्रम मजीठिया की लड़ाई आसान क्यों नहीं</p></div>
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अमृतसर-पूर्व: नवजोत सिद्धू के खिलाफ बिक्रम मजीठिया की लड़ाई आसान क्यों नहीं

(फोटो- Altered by Quint)

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इस पंजाब चुनाव (Punjab Elections) में सबसे हाईप्रोफाइल सीटों की बात आती है तो अमृतसर ईस्ट सीट की जरूर चर्चा होती है. यहां पंजाब कांग्रेस चीफ नवजोत सिद्धू (Navjot Singh Siddhu) का मुकाबला अकाली दिग्गज बिक्रम मजीठिया (Bikram Majithiya) से है. दिग्गजों की इस लड़ाई के बीच AAP से जीवनजोत कौर और BJP गठबंधन से जगमोहन राजू चुनाव मैदान में हैं.

नामी कैंडिडेट्स को देखते हुए लोगों को उम्मीद थी कि यहां जोरदार वोटिंग होगी पर ऐसा कुछ नहीं हुआ. यहां केवल 63.3 फीसदी मतदान हुआ. एक तो वैसे ही पूरे पंजाब राज्य से कम मतदान के आंकड़े आए हैं और इस महत्वपूर्ण सीट की वोटिंग का आंकड़ा पंंजाब की कुल वोटिंग से सात प्रतिशत तक कम है. यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार सिद्धू के खिलाफ एंटी इनकंबेसी फैक्टर के काम करने की बात कही जा रही थी, पर फिर भी उनकी स्थिति यहां से कोई खराब नहीं कही जा सकती.

पिछले दो चुनावों से सिद्धू के परिवार के ही पास है. 2012 में यहां 66 परसेंट वोटिंग हुई थी तब नवजोत सिद्धू की पत्नी बीजेपी प्रत्याशी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू जीती थीं. 2017 में खुद नवजोत सिद्धू यहां कांग्रेस के टिकट पर उतरे थे. तब 64.5 परसेंट वोटिंग हुई थी और सिद्धू को जीत मिली थी.

इस बार पिछले चुनाव से केवल 1.2 परसेंट वोटिंग कम हुई है और बंपर वोटिंग जैसे कोई ऐसे संकेत नहीं मिले कि जनता सिद्धू को कुर्सी से उतार देना चाहती हो. केवल अकाली पार्टी के नामी गिरामी कैंडिडेट बिक्रम मजीठिया और आप के भी मैदान में आने से सिद्धू की जीत का मार्जिन घट सकता है.

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यह सीट कैसे हाईप्रोफाइल सीट बन गई अब इसका भी किस्सा सुन लीजिए.

जब नवजोत सिद्धू BJP में थे तो उनके और बिक्रम मजीठिया के बीच दोस्ती थी. जब 2014 में BJP ने सिद्धू की जगह अरुण जेटली को अमृतसर से टिकट दिया तो सिद्धू ने आरोप लगाया था कि मजीठिया और सुखबीर बादल ने ही उनकी टिकट कटवाई.

यहां से रिश्ते बिगड़े. जब सिद्धू कांग्रेस में आए तो मजीठिया के खिलाफ ड्रग्स केस दर्ज करवाने के लिए मुहिम छेड़ दी. अब जब इस बार नवजोत सिद्धू को कांग्रेस ने अमृतसर ईस्ट से उम्मीदवार बनाया तो सिद्धू ने मजीठिया को अमृतसर ईस्ट से लड़ने की चुनौती दी. अकाली पार्टी ने यह चुनौती स्वीकार मजीठिया को अमृतसर ईस्ट पर उतारा.

तब मजीठिया मजीठा सीट से भी चुनाव लड़ रहे थे. सिद्धू ने एक बार फिर ललकारा कि दम है तो एक ही सीट से लड़ें. मजीठिया ने यह चुनौती भी कबूल कर ली. इसके बाद तो यह सीट पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई.

यहां के कम मतदान को लेकर जानकार यह भी कह रहे हैं कि अमृतसर ईस्ट में सिद्धू और मजीठिया दोनों का अच्छा दबदबा है. ज्यादातर लोगों से उनका सीधा संपर्क है. ऐसे में ये वोटर दोनों में से किसी को भी नाराज नहीं करना चाह रहे. कम वोटिंग के पीछे एक कारण ये भी हो सकता है.

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Published: 21 Feb 2022,06:15 PM IST

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