advertisement
क्या आपको पता है कि महिलाओं को रात में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है... और घर में पति ज्यादा नाटकबाजी करता है, तो पत्नी खर्च करने के लिए हर महीने भत्ता मांग सकती है. आपराधिक प्रक्रिया संहिता, सेक्शन 46 के तहत एक महिला को सूरज डूबने के बाद और सूरज उगने से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. किसी खास मामले में एक प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के आदेश पर ही ये संभव है.
सऊदी अरब, मिस्र, यूनाइटेड अरब अमीरात, बहरीन, यमन और लीबिया जैसे गल्फ देशों ने कतर के साथ अपने रिश्ते खत्म कर लिए हैं. इन देशों का आरोप है कि कतर इस्लामिक स्टेट और अलकायदा जैसे संगठनों का समर्थन करता है. ऐसे में यह समझना जरूरी है कि गल्फ देशों द्वारा कतर से रिश्ता तोड़ने का भारत पर क्या असर पड़ेगा और इससे कतर में रहने वाले भारतीय कितने प्रभावित होंगे.
अररिया, सिमडेगा, कांकेर, महोबा, शिवपुर, मलकानगीर जैसी सैकड़ों जगहें हैं, जहां नीति-निर्माता और मंत्री शायद ही कभी जाते हैं. ये देश के सबसे पिछड़े जिलों में शामिल हैं. पिछड़े जिलों की कहानी 1960 से चली आ रही है. तब नरेंद्र मोदी की उम्र 10 साल थी और जवाहर लाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे. 1960 की एक रिपोर्ट में पिछड़े जिलों का पहली बार जिक्र किया गया था. उसके 56 साल बाद भी 100 पिछड़े जिलों का जिक्र हो रहा है.
मध्य प्रदेश में कर्ज माफी और फसल के वाजिब दाम की मांग को लेकर किसानों की हड़ताल ने उग्र रूप ले लिया है. मंदसौर में धरने पर बैठे किसानों पर पुलिस ने फायरिंग की. फायरिंग में 5 किसान की मौत हो गई है. हालात को देखते हुए कई इलाकों में कर्फ्यू भी लगा दिया गया है. इससे पहले मंदसौर जिले में किसानों ने रेलवे क्रॉसिंग गेट को तोड़ने के बाद पटरी उखाड़ने की कोशिश की थी. सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जिले में इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया है.
आईटी कंपनियों की तरफ से लगातार आ रही छंटनी की खबरों के बीच भारतीय इंजीनियर्स के लिए खुशखबरी है. माइक्रोसॉफ्ट, लिंक्डइन, ओरेकल, फेसबुक और गूगल जैसी बड़ी टेक कंपनियां भारत में अपने कर्मचारियों की संख्या बढ़ा रही हैं. इससे देश की आईटी कंपनियों और इन विदेशी कंपनियों के बीच एक टैलेंट वार जैसा माहौल बन रहा है, जिसका सीधा फायदा देसी इंजीनियर्स को मिलने जा रहा है.
तपती गर्मी से बेहाल बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में माॅनसून जल्द ही पहुंचने वाला है. 13-14 जून तक वहां बारिश हो सकती है. देश के कई हिस्से गर्मी से झुलस रहे हैं. चिलचिलाती धूप ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है. अब ऐसे में कोई बारिश का नाम ही ले ले तो मन को सुकून का एहसास होता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)