Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019बेगम अख्‍तर: कोठे की चौखट से मल्लिका-ए-गजल तक का सफर... 

बेगम अख्‍तर: कोठे की चौखट से मल्लिका-ए-गजल तक का सफर... 

बेगम अख्तर की वालिदा मुश्तरी बाई लखनऊ के नवाबों की दरबारी गायिका थीं.

हेरा खान
वीडियो
Published:
बेगम अख्तर की वालिदा मुश्तरी बाई लखनऊ के नवाबों की दरबारी गायिका थीं.
i
बेगम अख्तर की वालिदा मुश्तरी बाई लखनऊ के नवाबों की दरबारी गायिका थीं.
(फोटो: अल्टर्ड बाय क्विंट)

advertisement

वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम

संगीतप्रेमी बेगम अख्‍तर की गायिकी से अच्छी तरह वाकिफ हैं. 1940-50 के दशक में गजल और ठुमरी गायन शैली के लिए बेगम अख्तर काफी बड़ा नाम हुआ करता था. उनकी बेहतरीन रूहानी आवाज और अंदाज से हर किसी का आज भी दिल रोशन हो जाता है.

कला के क्षेत्र में योगदान के लिए भारत सरकार ने बेगम अख्तर को पद्मश्री और पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया. उन्हें ‘मल्लिका-ए-गजल' के खिताब से नवाजा गया था. आइए जानते हैं बेगम अख्तर की जिंदगी के बारे में...

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

बेगम अख्तर की वालिदा मुश्तरी बाई लखनऊ के नवाबों की दरबारी गायिका थीं. बचपन में ही पिता असगर हुसैन ने उन्हें छोड़ दिया था. तब उनका नाम बेगम अख्तर नहीं, 'बीबी' था. उन्हें अपनी जुड़वा बहन जोहरा को भी खो दिया. 13 साल की भी नहीं थी, जब उनके उस्ताद और संरक्षक दोनों ने ही उनका यौन शोषण किया.

सिर्फ 15 की उम्र में अख्तरी ने मंच संभाला और 1934 के नेपाल-बिहार भूकंप पीड़ितों के लिए एक कार्यक्रम में अपनी आवाज का हुनर दिखाया.

वहां मौजूद सरोजिनी नायडू भी अख्तरी की तारीफ करने से नहीं रुक पाईं. यहां से अख्तरी की जिंदगी ही बदल गई. गजल और ठुमरी में खास महारथ रखने वाली अख्तरी बाई ने फिल्मों में भी अपना हुनर दिखाया.

बेगम का ‘महफिलों’ से निकलकर ऑल इंडिया रेडियो के कार्यक्रमों तक पहुंचना और समाज में बढ़ता रुतबा भी चर्चा में बना रहा.

गजल का ये चमकदार सितारा 8 साल तक संगीत से दूर रहा, लेकिन ऐसा क्यों हुआ, किसी को नहीं पता.

लेकिन कई बार गर्भपात और मां की मौत से बिखर चुकी बेगम को एक बार फिर संगीत से ही सहारा मिला.

30 अक्टूबर 1974 को अहमदाबाद में खराब तबीयत के बावजूद बेगम ने अपनी जादुई आवाज से समा बांधा और उसी दिन उन्होंने आखिरी सांस ली. बेगम अख़्तर हमेशा 'मल्लिका-ए-ग़जल'
के तौर पर याद रहेंगी.

यह भी पढ़ें: पॉडकास्ट | मलिका-ए-ग़ज़ल बेगम अख्तर की कहानी

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT