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मध्य प्रदेश में EVM सुरक्षा के नियमों का कुछ यूं हुआ उल्लंघन
स्ट्रॉन्ग रूम की सिक्योरिटी को लेकर नियमों की लंबी लिस्ट लेकिन...
नीरज गुप्ता
वीडियो
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चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक EVM स्ट्रॉन्ग रूम के आसपास परिंदा भी पर नहीं मार सकता
(फोटो ग्राफिक्स : आर्णिका काला)
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30 नवंबर, 2018 की सुबह 8 बजकर 19 मिनट पर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के पुराने जेल परिसर के बाहर हड़कंप मच गया. वजह थी स्ट्रॉन्ग रूम के बाहर लगी एलईडी स्क्रीन का अचानक खराब हो जाना. उस स्ट्रॉन्ग रूम में वो मशीनें रखीं थी जिनमें लाखों लोगों का फैसला और एमपी की अगली सरकार का मुस्तकबिल बंद था. मैं बात कर रहा हूं इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी EVM की.
कथा जोर गरम है....
मध्य प्रदेश में 28 नवंबर की वोटिंग में इस्तेमाल हुईं EVM के साथ कुछ गड़बड़झाला हुआ है. ऐसा हम नहीं कह रहे लेकिन कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां ये शिकायत लेकर चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटा चुकी हैं. कुछ वीडियो भी मार्केट में घूम रहे हैं जो शक पैदा करते हैं.
दरअसल, मामला अगर भोपाल तक ही सिमटा रहता को शायद इतना ना गरमाता. इससे पहले मध्य प्रदेश के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह की सीट खुरई से खबर आई कि वोटिंग के 48 घंटे बाद ईवीएम स्ट्रॉन्ग रूम में पहुंचाई गईं. इस मामले में एक नायब तहसीलदार को सस्पेंड कर दिया गया.
इसके बाद सतना से आए वीडियो ने हड़कंप मचा दिया, मध्य प्रदेश कांग्रेस के ट्विटर हैंडल पर 30 नवंबर की रात 11 बजकर 52 मिनट पर जारी इस वीडियो में सतना के स्ट्रॉन्ग रूम के भीतर अज्ञात बक्से ले जाने का वीडियो फुटेज है.
रीवा की कलेक्टर प्रीति मैथिल नायक का वीडियो भी तेजी से वायरल हुआ जिसमें वो सिक्योरिटी गार्ड को कह रही हैं कि अगर कोई ईवीएम के पास आए तो गोली मार देना.
रीवा की कलेक्टर प्रीति मैथिल नायक ने सुरक्षाकर्मी से कहा कि ‘कोई ईवीएम के पास आए तो गोली मार देना’(फोटो : ट्विटर)
सवाल ये उठता है कि ये सब छोटी-मोटी गड़बड़ियां हैं या फिर दाल में कुछ काला है
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क्या कहते हैं नियम?
वोटिंग मशीनें पूरी सुरक्षा के स्ट्रॉन्ग रूम तक पहुंचाई जाएंगी और उनकी 24X7 निगरानी होगी.
स्ट्रॉन्ग रूम की सीलिंग के वक्त राज्य और केंद्र की मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के नुमाइंदे मौजूद रहेंगे. वो चाहें तो अपनी सील भी स्ट्रॉन्ग रूम के ताले पर लगा सकते हैं.
स्ट्रॉन्ग रूम डबल लॉक सिस्टम वाला होना चाहिए जिसका सिर्फ एक एंट्री प्वाइंट हो.
स्ट्रॉन्ग रूम की खिड़कियों तक को सील किया जाएगा ताकि कोई उसमें घुस ना सके.
एंट्री प्वाइंट की चौबीस घंटे सीसीटीवी कवरेज होगी जिसका आउटपुट बाहर किसी स्क्रीन पर दिखना चाहिए.
सिक्योरिटी गार्ड एक लॉग बुक मेनटेन करेगा जिसमें स्ट्रॉन्ग रूम के आसपास आने वाले लोगों के डिटेल्स, आने का वक्त और ठहरने की मियाद तक दर्ज होगी. अब आने वाले भले ही ऑब्जर्वर हों, चुनाव अधिकारी हों, इलाके का एसपी हो या फिर पॉलिटिकल पार्टियों के नुमाइंदे.
यानी चौबीस घंटे, चौकस और चौचक इंतजाम.
इस नियम का सरेआम उल्लंघन
भोपाल के सीसीटीवी कैमरे फेल होने के मामले में चुनाव आयोग की सफाई है कि अचानक बिजली चली गई जबकि गौर करने वाली बात है कि उसी चुनाव आयोग के अपने नियम कहते हैं :
EVM की मौजूदगी के दौरान स्ट्रॉन्ग रूम में होनी चाहिए बिजली किसी कीमत पर ना जाए. ये सुनिश्चित करने के लिए चीफ इलेक्शन ऑफिसर को चाहिए कि वो संबंधित बिजली बोर्ड के चेयरमैन को लिखकर सूचित करे. खुदा ना खास्ता बिजली चली भी गई तो जेनेरेटर का इंतजाम होना चाहिए ताकि कैमरा रिकॉर्डिंग में कोई गैप ना आए.
इसके बावजूद प्रदेश की राजधानी के स्ट्रॉन्ग रूम की बत्ती गुल हो गई.
तो साहब.. इतने साफ और सख्त नियम होंगे तो उनके टूटने पर सवाल तो उठेंगे. सही और गलत का फैसला करना हमारा काम नहीं है लेकिन हमारी इतनी दरख्वास्त जरूर है कि प्रशासन और चुनाव आयोग सच सामने लाएं ताकि विपक्ष के आरोपों से उठी शक की धुंध दूर हो सके.