advertisement
केके शैलजा ने केरल विधानसभा चुनाव के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी जीत दर्ज की लेकिन उन्हें नए मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली. CPI(M) ने केवल 'नए चेहरों' को शामिल करने का फैसला किया है. CM पिनराई विजयन एकमात्र अपवाद हैं.
केके शैलजा की कैबिनेट में अनुपस्थिति से लोगों को झटका लगा है.
हाई स्कूल भौतिकी शिक्षक के रूप मेंउनका 23 साल का लंबा कार्यकाल रहा है. उनका लोकप्रिय नाम 'शैलजा टीचर' है.
विधानसभा चुनाव में जीत
शैलजा पहली बार 2016 में स्वास्थ्य मंत्री के रूप में केरल कैबिनेट में शामिल हुईं. पहली बार सुर्खियों में तब आईं जब केरल ने 2018 में निपाह वायरस के प्रकोप को सफलतापूर्वक नियंत्रित किया. शैलजा ने पेरंबरा में ग्राउंड जीरो पर विशेषज्ञों के साथ डेरा डाला.
उनके निपाह प्रकोप के अनुभव ने उन्हें कोविड संकट की गहराई का अनुमान लगाने और राज्य को इसके लिए तैयार करने में मदद की. त्रिशूर में देश का पहला कोविड मामला सामने आने के बाद से उन्होंने डेली ब्रीफिंग शुरू की. उनके एक्शन प्लान ने जनता का विश्वास बढ़ाया. उनके कोविड की पहली लहर को संभालने के तरीके से राज्य में मौतों की संख्या सीमित रही और 'केरल मॉडल' से उन्हें अंतरराष्ट्रीय प्रशंसा मिली.
शैलजा LDF के सबसे लोकप्रिय प्रचारकों में से एक रहीं. शैलजा के नेतृत्व में केरल के कोविड प्रबंधन ने 2021 के विधानसभा चुनावों में पार्टी को ऐतिहासिक जीत हासिल करने में मदद की. जब दूसरी लहर ने पूरे देश को चौंका दिया तो शैलजा ने राज्य की स्थिति को काबू से बाहर नहीं जाने दिया.
शैलजा ने कैबिनेट से बाहर किए जाने पर किसी भी तरह की निराशा से इनकार किया और कहा कि उन्हें अपने चुनौतीपूर्ण कार्यकाल पर गर्व है.
हालांकि नए कैबिनेट का हिस्सा नहीं हैं लेकिन केके शैलजा पार्टी व्हिप बनी रहेंगी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)