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क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने रविवार (7 अप्रैल) को लेह से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) तक "पश्मीना मार्च" करने के अपने फैसले को वापस ले लिया है.
वांगचुक ने कहा कि वह संभावित हिंसा की जोखिम को देखते हुए अपना फैसला वापस ले रहे हैं, क्योंकि प्रशासन ने सीआरपीसी की धारा 144 लागू कर दी है.
सोनम वांगचुक लद्दाख में छठी अनुसूची की अपनी मांग को लेकर 7 अप्रैल को चीन की सीमा की तरफ मार्च करने जा रहे थे. इस देखते हुए लद्दाख प्रशासन ने लद्दाख में धारा 144 लागू कर दी है. साथ ही इंटरनेट स्पीड को घटा कर 2G के स्तर तक ला दिया है.
लद्दाख में पिछले काफी वक्त से विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं. एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने पिछले महीने ही अपनी 21 दिनों की भूख हड़ताल खत्म की थी.
सोनम वांगचुक के ट्विटर हैंडल से शेयर किए गए वीडियो के मुताबिक लद्दाख के चरवाहों की जमीनें कथित तौर पर लगातार उनसे छीनी जा रहीं है. उन्होंने बताया कि वह चीन बॉर्डर तक मार्च करके वो जगहें दिखाना चाहते थे जहां तक पहले चरवाहों का आना-जाना होता था.
सोनम वांगचुक का आरोप है चरवाहों की जमीन भारतीय कॉरपोरेट्स हड़प रहें हैं. ये जमीन करीब 40 हजार एकड़ है. दूसरी तरफवांगचुक ने आरोप लगाया कि उत्तरी लद्दाख में चीन उनके चारागाह हड़प रहा है.
सोनम वांगचुक का कहा था कि मार्च के दौरान वो बतायेंगे कि पहले चरवाहों की जमीन कहां तक हुआ करती थी और अब चरवाहों को कहां रोक दिया जाता है.
लेह प्रशासन का कहना है कि जिले में शांति भंग होने की जानकारी है. इन्हीं आशंकाओं की वजह से धारा 144 लागू की जा रही है. धारा 144 की वजह से सार्वजनिक जगहों पर 4 से ज्यादा लोग इकट्ठा नहीं हो सकते. बिना डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की इजाजत के कोई भी व्यक्ति रैली और मार्च नहीं निकाल सकता है.
आदेश में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति ऐसा कोई बयान नहीं देगा जिससे शांति भंग होने की कोई भी आशंका हो. लद्दाख में चुनाव को लेकर आचार संहिता लागू है. आदेश में कहा गया है कि इंटरनेट स्पीड को भी घटा दिया गया है.
लद्दाख के लिए सोनम वांगचुक की दो मांग हैं. पहली मांग है लद्दाख के छठी अनुसूची में शामिल करना और वहीं दूसरी मांग क्लाइमेट चेंज को लेकर है.
क्या है मांगें:
लद्दाख को विशेष दर्जा और राज्य का दर्जा
संविधान की छठी अनुसूची का कार्यान्वयन
लद्दाख और कारगिल के लिए अलग संसदीय सीटें
लद्दाख के लिए अलग लोक सेवा आयोग
लद्दाख में लग रहे विद्युत संयंत्र का विरोध
लद्दाख के पर्यावरण की रक्षा
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