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वीडियो एडिटर: वरुण शर्मा/संदीप सुमन
वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी
17 जुलाई को यूपी के सोनभद्र में सामूहिक नरसंहार में दस लोगों की मौत हो गई. घटना में दो दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए. द क्विंट की टीम ने ग्राउंड जीरो पर इस बात की पड़ताल करने की कोशिश की कि आखिर इस विवाद की शुरूआत कहां से हुई और इसकी जड़ में कौन-कौन लोग हैं.
इस वारदात को लेकर वहां के चौकीदार ने जो खुलासा किया है वो चौंकाने वाला है. क्विंट से बात करते हुए चौकीदार ने बताया कि, “मैंने तीन महीने पहले ही बताया था कि अगर इस मामले का निपटारा नहीं होता है तो जून या जुलाई में इस तरह की घटना हो सकती है.”
बताया जा रहा है कि ये जमीन का विवाद सात दशक पुराना है. 1955 में ग्राम समाज की करीब 600 बीघा जमीन आदर्श को-ऑपरेटिव सोसाइटी के नाम की गई. 1989 में मिर्जापुर के तत्कालीन DM प्रभात मिश्रा ने अपने और अपने परिवार के नाम जमीन करा ली. 2017 में प्रभात मिश्रा ने ग्राम प्रधान यज्ञदत्त को कुछ जमीन बेच दी.
उम्भा में गोड़ जाति के करीब डेढ़ सौ परिवार रहते हैं. ये आदर्श सोसाइटी की जमीन पर खेती करते हैं. स्थानीय लोगों ने इस वारदात को लेकर पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि फायरिंग के बाद जब लोग वापस चले गए तब पुलिस तुरंत ही आ गई.
इतने बड़े नरसंहार के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी हलचल मच गई. घटना के तीसरे दिन प्रियंका गांधी खुद पीड़ितों से मिलने पहुंची. लेकिन प्रियंका को मिर्जापुर में रोक लिया गया. पीड़ित उनसे मिलने मिर्जापुर पहुंचे, जहां वो उनसे मिलकर भावुक हो गईं.
सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चार दिन बाद सोनभद्र पहुंचे. पीड़ितों से मिलने के बाद योगी ने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया.
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