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वीडियो एडिटर- पुनीत भाटिया
इलस्ट्रेटर- मेहुल त्यागी
प्रोड्यूसर- प्रबुद्ध जैन
क्विंट हिंदी की खास पेशकश, Soul खोल में माइथोलॉजिस्ट और बेस्टसेलर लेखक देवदत्त पटनायक आपको बताते हैं जिंदगी और आज के राजनीतिक माहौल को समझने का फलसफा.
इस सीरीज के पहले एपिसोड में हमने देवदत्त से पूछा ये सवाल:
आज के राजनीतिक माहौल में जनता की फिक्र की बजाय नेताओं के बीच कर्कशता और सिर्फ आरोपों का शोर क्यों सुनाई-दिखाई देता है?
देवदत्त इसका दिलचस्प जवाब देते हैं.
देवदत्त बाइबिल में दी हुई एडम और ईव की कहानी का जिक्र करते हैं. एडम-ईव को जिस फल को खाने की मनाही थी उन्होंने वही खाया और उसके बाद वो धरती पर आ गए. इसके बाद ही शुरू हुई सारी परेशानी. जब उनसे पूछा गया कि आपने ऐसा क्यों किया तो इसके दो जवाब हो सकते हैं:
देवदत्त कहते हैं कि समाज को आसान जवाब चाहिए जिसमें वो अपनी गलतियों का ठीकरा दूसरों पर फोड़ते रहें. खुद के भीतर झांकने की कोशिश नहीं करते कि हमने नियम क्यों तोड़े. सिर्फ दोष देने के लिए एक शैतान ढूंढ़ते हैं. हम अपनी गलती सुधारने से बचते फिरते हैं.
राजनेता कभी ये नहीं कहते कि परेशानी आपमें है. वो कहते हैं कि परेशानी कहीं बाहर है. अब ये लोकतंत्र में एक परंपरा सी बन गई है. नेता एक भाषण देते हैं और आरोप लगाने के लिए किसी को चुन लेते हैं. वो किसी को पकड़ लेते हैं और कहते हैं कि सारी समस्यायों की जड़ वही है. वो धर्म, जाति या व्यक्ति को आधार बनाकर धड़ाधड़ आरोप लगाते हैं.
आरोपों की इस लीक पर हर धड़े और विचारधारा के नेता चल रहे हैं फिर चाहे वो दक्षिणपंथी हों या वामपंथी. हर नेता अपने भाषणों में एक ‘शैतान’ ढूंढ़ लेता है क्योंकि वो आसान तरीका है. यहीं से आरोप-प्रत्यारोप का शोर-शराबा शुरू हो जाता है. इससे होता ये है कि बाहर समस्या होने का दावा किया जाता है और अंदर झांकने की जरूरत ही महसूस नहीं होती.
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