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श्रीनगर ग्राउंड रिपोर्ट 9: ‘किसी के पास चाय के लिए भी पैसे नहीं’

श्रीनगर के हैदरपुरा में बड़ी संख्या में पश्चिम बंगाल और बिहार के लोग काम करते हैं

शादाब मोइज़ी
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वीडियो एडिटर: वरुण शर्मा

श्रीनगर के हैदरपुरा में बड़ी संख्या में कश्मीर से बाहर के लोग रहते हैं.यहां पर पश्चिम बंगाल और बिहार के लोग काम करते हैं. श्रीनगर से क्विंट की ग्राउंड रिपोर्ट की नौंवी कड़ी में समझने की कोशिश करते हैं कि आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से इनके जीवन पर किस तरह का असर हुआ है.

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बिहार के पूर्णिया से यहां मजदूरी का काम करने आए अब्दुल बताते हैं कि “सिम बंद हो गया है. घर पर बात नहीं हो पा रही है. घर वाले परेशान हैं, कैसे हैं कुछ पता नहीं है.”

पैसे की समस्या के बारे में बताते हुए अब्दुल कहते हैं कि

अभी किराया जमा करना है, राशन वाले को देना है. हालात खराब होंगे तो घर जाएंगे,नहीं खराब होंगे तो यहीं रहेंगे.

कर्फ्यू की वजह से इन लोगों को काम मिलने में परेशानी हो रही है. इनके मजदूरी का भी पैसा फंस गया है.

हम लोगों का पैसा फंसा हुआ है. मालिक भी बोल रहा है कि बैंक बंद है, हम (पैसे) कहां से लाएंगे. हम लोग भी देख रहे हैं कि बैंक बंद है. हमें बोला गया था कि पैसे दे देंगे. हमने ईद का इंतजार किया. ईद के वक्त ही माहौल खराब हो गया. अब वो (मालिक) भी सोच रहा है कि क्या करूं? कहां से पैसे लाकर दूं?
मोहम्मद शकील, पेंटर

शकील बताते हैं कि “बैंक एक दिन के लिए भी खुलेगा तो पेमेंट मिल जाएगा.लेकिन बैंक ही नहीं खुलेगा तो क्या करेंगे,मजबूर होकर बैठ जाएंगे.”

बहुत लोगो के पास किराया भी नहीं है.इनका कहना है कि किराया आते ही ज्यादातर लोग निकल जाएंगे. किराया नहीं होने की वजह से ही ये फंसे हुए हैं.

पैसा मार्केट में फंसा हुआ है. हमारे साथ दस लोग हैं. किसी के पास किराया नहीं है कि वो घर जाए. मोबाइल भी बंद हो चुका है.ना सिम चल रहा है, ना ही कोई मैसेज मिल रहा है.घर वाले परेशान हो रहे हैं.
मोहम्मद शाहबाज, पेंटर

इन लोगों के पास घर जाने के लिए पैसे नहीं हैं. जिस तरह के हालात हैं, ये वापस लौटना चाहते हैं. इनके पास खाने तक के पैसे नहीं हैं. इन्हें उम्मीद है कि इनको भी मदद मिलेगी.लेकिन पेंटिंग का काम कर रोजाना 500-600 रुपये कमाने वाले ये लोग घर लौट भी जाते हैं तो क्या करेंगे? इसका भी जवाब मिलना मुश्किल है.

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