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श्रीनगर ग्राउंड रिपोर्ट 8: घंटों इंतजार,ताकि कुछ सेकेंड हो जाए बात

5 अगस्त को आर्टिकल 370 हटाने के ऐलान के साथ ही जम्मू-कश्मीर में कम्युनिकेशन के बाकी रास्ते रोक दिए गए थे

शादाब मोइज़ी
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बच्चों की खैरियत जानने के लिए परेशान श्रीनगर के लोग
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बच्चों की खैरियत जानने के लिए परेशान श्रीनगर के लोग
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर:अभिषेक शर्मा

5 अगस्त को आर्टिकल 370 हटाने के ऐलान के साथ ही जम्मू-कश्मीर में कम्युनिकेशन के बाकी रास्ते रोक दिए गए थे. एक झटके में ही वहां के लोग बाकी देश-दुनिया से कट गए. सरकार ने चार दिन बाद हेल्पलाइन नंबर की शुरुआत की, जिसके जरिए लोग देश के बाकी हिस्सों में रह रहे रिश्तेदारों से बात कर पा रहे हैं. श्रीनगर से ग्राउंड रिपोर्ट की आठवीं कड़ी में देखिए किस तरह अपने बच्चों और परिवार से बात करने के लिए लोग घंटों का इंतजार करते हैं ताकि कुछ सेकेंड बात हो जाए. हमने श्रीनगर के जम्मू-कश्मीर के डिप्टी कमिश्नर के ऑफिस में पहुंचकर ये जाना.

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यहां पहुंचे मुदस्सिर अपनी बेबसी बयां करते हुए कहते हैं कि “मेरे भाई बाहर हैं. उनसे बात करनी है. रविवार से कोई बातचीत नहीं हुई. वो परेशान हो रहे होंगे की घर पर क्या हाल है? हम भी परेशान हो रहे हैं.”

मुदस्सिर जैसे और भी कई लोग आए हैं जिन्हें अपने परिवार से बात करनी है. जानना है कि वे कैसे हैं. अपने बारे में भी बताना है कि यहां वे ठीक हैं.

पांच दिन से हमारा उनके (बच्चों) साथ कोई कॉन्टेक्ट नहीं है. हमें एक-दूसरे के बारे में कोई जानकारी नहीं है. हमने सोचा की फोन कर उनको बता दें कि उनके मां-बाप ठीक हैं.  
बरकत अली, निवासी, श्रीनगर

कई दिनों से अपनों से बात नहीं कर पाने की वजह से लोगों में बात करने की बेकरारी है. सभी घंटों लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं ताकि कुछ सेकेंड ही सही, बात हो जाए.

बरकत अली बताते हैं कि उनका बच्चा बांग्लादेश में एमबीबीएस कर रहा है. इतने दिनों से बात नहीं कर पाए हैं.वो बस जानना चाहते हैं कि उनका बच्चा कैसे है...

बच्चों की खैरियत जानने के लिए परेशान इन लोगों के सामने और भी मुश्किलें हैं. इन्हें हेल्पलाइन सेंटर तक आने के लिए भी चेकिंग से गुजरना पड़ता है. बरकत अली बताते हैं कि छाताबल से आने में उन्हें कई जगह रोका गया. पहचान पत्र दिखाने के बाद वो यहां तक पहुंचे.

(ये वीडियो 9 अगस्त 2019 को रिकॉर्ड किया गया था)

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