Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019 VIDEO | मॉब लिंचिंग के जिम्मेदार WhatsApp पर यकीन करना बंद करो 

VIDEO | मॉब लिंचिंग के जिम्मेदार WhatsApp पर यकीन करना बंद करो 

झूठे संदेशों की वजह से देश भर में हो रही है मॉब लिंचिंग

नीरज गुप्ता
वीडियो
Updated:
WhatsApp के झूठे संदेशों की वजह से देश भर में मॉब लिंचिंग की घटनाएं हो रही हैं.
i
WhatsApp के झूठे संदेशों की वजह से देश भर में मॉब लिंचिंग की घटनाएं हो रही हैं.
(फोटो ग्राफिक्स : हर्ष साहनी/ द क्विंट)

advertisement

वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद

कैमरा : अभय शर्मा

ये WhatsApp के झूठे संदेश कब तक बेकसूर लोगों की जान लेते रहेंगे. कब रुकेगी अराजकता की ये आंधी. कभी महाराष्ट्र, कभी त्रिपुरा, कभी असम, कभी तमिलनाडु. स्मार्टफोन की स्क्रीन पर बेकसूर लोगों पर होते जुल्म के दृश्य जैसे टेक्नोलॉजी के इस नए युग का नया सच हैं.

जरा इस WhatsApp मैसेज पर नजर डालिये.

व्हाट्सऐप पर वायरल पोस्ट

इस मैसेज में लिखा है कि झारखंड के अलग अलग शहरों में 15-20 लोगों की एक टोली घूम रही है, जो आपकी सुरक्षा के लिए खतरा है. गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हरियाणा, झारखंड, बिहार, असम, पश्चिम बंगाल समेत देश के तमाम राज्यों में ऐसे ‘जनहित में जारी’ मैसेज वायरल हो रहे हैं. जैसे मैसेज ना हो, बेकसूर लोगों के कत्ल की, लिंचिंग की सुपारी हो.

मेरे दो सवाल हैं-

  • इन हत्यारे संदेशों को फैलाने वाले कौन लोग हैं?
  • इन संदेशों को पत्थर पे लकीर समझ कर सच मान लेने वाले ‘नादान’ कौन हैं?

तो समझिए.. इन संदेशों को भेजने वाले लोग वो हैं जो हमेशा आपको खौफ के माहौल में रखना चाहते हैं. वो चाहते हैं कि आप हमेशा अपने आसपास वालों पर शक करें. शक और खौफ के उस माहौल में कोई अनचाही वारदात हो और उससे कहीं किसी को फायदा हो.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

झूठे संदेशों की पहचान नहीं

एक रिसर्च के मुताबिक, 40 फीसदी पढ़े-लिखे युवा भी WhatsApp पर आने वाले इन संदेशों की सच्चाई परख नहीं पाते.

भारत में करीब 50 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हैं. अंदाजा लगाइये कि करोड़ों स्मार्ट फोन पर अरबों मैसेज हर दिन इधर से उधर जा रहे हैं और उनकी सच्चाई पता करने की ना तो किसी के पास फुर्सत है और ना ही कुव्वत.

आपको ये ऐसा नहीं लगता कि झूठे और भड़काऊ WhatsApp संदेशों की शक्ल में सैंकड़ों-हजारों बम हर रोज हमारे आसपास बिखर रहे हैं. जिनमें से पता नहीं कब कौन सा फट जाए और बेकसूर लोगों की जान ले ले.

अब बात उन ‘अक्ल के अंधों’ की जो लोगों को पीट-पीट कर मार देते हैं, ये सोचे बगैर कि उनका कोई कसूर है भी या नहीं.

  • क्या हमारा सिस्टम में यकीन खत्म हो गया है?
  • क्या हमें कानून का भी कोई डर नहीं रह गया है?

या हमने मान लिया है कि ये सिस्टम, ये कानून हमारे साथ है? हम चाहे इसे तोड़ें, चाहे मरोड़ें, ये हमें कुछ कहने के बजाए हमारा साथ ही देने वाला है.

सोशल मीडिया के झूठ-सच को पकड़ने की जागरुकता बढ़ाने को लेकर दुनिया भर में माथापच्ची चल रही है. लेकिन साथ ही सस्ते डेटा प्लान ने WhatsApp को उन गली-कूचों, चौक-चौराहों तक पहुंचा दिया है जहां फेक न्यूज जैसे शब्द दूर की कौड़ी हैं.

फेसबुक का कहना है कि उनके प्लेटफॉर्म पर नफरती संदेशों के लिए कोई जगह नहीं है. लेकिन फिलहाल तो ये सब सिर्फ बयान लगते हैं. खुद फेसबुक या फिर सरकार के भी बस में ही नहीं है कि वो इन फेक मैसेजेस पर रोक लगा पाए.

ये भड़काऊ और झूठे मैसेज भेजने वाले शायद हमें बेवकूफ समझते हैं कि हम उनके हर कहे पर यकीन कर लेंगे. एक जमाना था जब लिखे हुए हर शब्द को हम सच मान लेते थे. लेकिन WhatsApp पर लिखे हर शब्द, हर संदेश को पहले तो आप झूठ ही मानिए. पड़ताल के बाद वो सच निकल जाए तो अच्छा.

मेरी हाथ जोड़कर आपसे गुजारिश है कि आप अपने दोस्तों, परिवारवालों को समझाएं कि WhatsApp संदेशों पर आंख मूंदकर यकीन करना सिर्फ बेहूदगी नहीं बल्कि अपराध है जो किसी बेकसूर की मौत तक का सबब बन सकता है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 04 Jul 2018,11:58 AM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT