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लॉकडाउन के हीरो: खरी-खोटी सुनकर भी डिलीवर कर रहे हैं खाना 

डिलीवरी कर्मचारियों की कहानी जो जोखिम उठाकर पहुंचा रहे आपका खाना

त्रिदीप के मंडल
वीडियो
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फूड डिलीवरी कर्मचारियों की कहानी जो जोखिम उठाकर पहुंचा रहे आपका खाना
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फूड डिलीवरी कर्मचारियों की कहानी जो जोखिम उठाकर पहुंचा रहे आपका खाना
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: पुनीत भाटिया

“जैसे पुलिस अपनीड्यूटी इस लॉकडाउन में दे रही है, वैसे ही हम भी अपनी ड्यूटी दे रहे हैं.”
निर्भय, स्विगी डिलीवरी एजेंट

मैं निर्भय और 5 अलग डिलीवरी एजेंट से मिला जो नोएडा के सेक्टर 104 में जोमैटो और स्विगी के लिए काम कर रहे हैं.

25 मार्च को देशभर में लॉकडाउन घोषित होने के बाद डिलीवरी में काफी कमी आई है.

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“इससे पहले मैं 800 रुपये कमा लेता था लेकिन अब मैं सिर्फ 200 से 300 ही कमा पता हूं, वो भी रात के 11 बजे तक काम करने के बाद. मैं सुबह 7 बजे से रात 11 बजे तक काम करता हूं.”
राजू दास, जोमैटो डिलीवरी एजेंट

हमारी तरह राजू दास और निर्भय घर पर नहीं बैठ सकते. उन्हें बाहर निकल कर डिलीवरी करनी ही होती है. फूड डिलीवरी में जरूर कमी आई है लेकिन कम से कम इन्हें अपनी रोजी रोटी कमाने का मौका मिल रहा है जिससे ये अपनी जिंदगी चला सकते हैं. ये लोग अपनी जिंदगी जोखिम में डाल कर भूखे लोगों तक खाना पहुंचा रहे हैं और इस लॉकडाउन को कामयाब बनाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.

“हमारी जिंदगी खतरे में है लेकिन हम सभी तरह की सुरक्षा नियमों का पालन करते हैं, जागरूक रहते हैं, जिससे खतरा थोड़ा कम हो जाता है. हमें काम करना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि अगर हम खाना डिलीवर नहीं करेंगे तो लोग भूखे रहेंगे और लोग भूखे रहेंगे तो वो घर से बाहर खानेके लिए निकलेंगे और वो ज्यादा खतरनाक है. इसलिए हम उनके घर तक खाना पहुंचा रहे हैं ताकि वो घर से बाहर न निकलें.”
जसवंत कुमार, जोमैटो डिलीवरी एजेंट

राजू दास ने हमें बताया कि उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कई बार उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है, जबकि लॉकडाउन के समय में खाने की डिलीवरी जरूरी सेवाओं में से एक है. फूड डिलीवरी एजेंट पर कोई पाबन्दी नहीं है.

“मैंने पुलिस को बताया कि मैं एक फूड डिलीवरी एजेंट हूं उसके बाद भी उन्होंने कहा कि ये गलत है और मेरी बाइक जब्त कर ली और मुझे कहा कि मैं 2 साल के लिए जेल जा सकता हूं. हमने सोचा कि अब डिलीवरी नहीं करेंगे लेकिन ये हमारी कमाई का जरिया है, इससे हमारी जिंदगी चल रही है.”
राजू दास, जोमैटो डिलीवरी एजेंट

डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ और पुलिस की तरह ही फूड डिलीवरी एजेंट भी कोरोना वायरस से इस जंग में फ्रंट लाइन पर सेवाएं दे रहे हैं और इसके लिए हमें इनका शुक्रगुजार होना चाहिए क्योंकि ये अपनी जिंदगी खतरे में डाल कर लोगों तक खाना पहुंचा रहे हैं ताकि हम भूखे न रहे और घर से बाहर न निकलें.

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Published: 08 Apr 2020,10:32 PM IST

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