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1947 का विभाजन: बिछड़ों को अपनी मिट्टी से मिलाने का प्रोजेक्ट

अपने पुराने शहर, गांव, कस्बों को देखकर लोगों के आंसू छलक पड़े

ज़िजाह शेरवानी
वीडियो
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(फोटो- क्विंट हिंदी)
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(फोटो- क्विंट हिंदी)

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भारत अपना 74वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है और इसी के साथ भारत और पाकिस्तान के बंटवारे को हुए 73 साल हो चुके हैं. आजादी के साथ ही ब्रिटिश भारत को दो मुल्कों भारत और पाकिस्तान में बांट दिया गया और करोड़ों लोग एक देश से दूसरे देश के लिए पलायन करने को मजबूर हो गए. बंटवारे ने लोगों की जिंदगी बदलकर रख दी.

लेकिन टीम प्रोजेक्ट दास्तान ने एक मुहिम शुरू की, जिन लोगों को बंटवारे की वजह से पलायन करना पड़ा, प्रोजेक्ट दास्तान के तहत 75 विभाजन अप्रवासियों की कहानियों को डॉक्यूमेंट किया जा रहा है और उन्हें 360 VR तकनीक के माध्यम से अपने पूर्वजों के घरों में वापस ले जा रहा है. अपने पुराने शहर, गांव, कस्बों को देखकर लोगों के आंसू छलक पड़े.

खालिद बशीर राय ने 1947 के विभाजन के दौरान भारत के कस्बा भुरल से पाकिस्तान के लाहौर पलायन किया. लेकिन वो तब से वापस नहीं जा पाए हैं. 360 VR वीडियो के सहारे जिस जगह वो रहते थे वो वहां की यादें दोहराते हुए भावुक हो गए वो बताते हैं कि-

अगर आप यहां एक कमरा किराए पर लेते हैं. तो आप उसे छोड़ना नहीं चाहते और हम वहां सदियों से रह रहे हैं. आपके सभी लोग वहीं दफन हो गए. आप उस जगह से प्यार करते हैं. जहां आप रहते हैं.
खालिद बशीर राय

लेकिन विभाजन का दर्द अभी तक मौजूद है. इशर दास अरोड़ा बताती हैं कि 1947 विभाजन के गवाह उस समय वाकई ऐसा था कि नजरों से जाता नहीं है. वो सपने में भी कई बार आ जाता है. शेर खान के पिता जो हमें लेने आए थे. उन्होंने कुल्हाड़ियां पकड़ी हुई है और उनका डरावना शक्ल और दोनों भाइयों ने हमें बैठा रखा है. हम जा रहे हैं रास्ते में आग लगी हुई है. सब याद है


प्रोजेक्ट दास्तान के CEO स्पर्श आहूजा बताते हैं कि-

वीडियो में जिस आदमी को आपने देखा, वो मेरे नानू हैं. जब वो सिर्फ 7 साल के थे तो उन्हें पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा. आधुनिक पाकिस्तान के एक छोटे से गांव से जिसे बेला कहा जाता है और वो नई दिल्ली चले आए. मैंने उन्हें दिल्ली में हमारे घर के कोने में देखा है. अपनी डायरी में, उर्दू लिखते हुए और मैंने उनसे पूछा, 'नानू आप जानते हो कि उर्दू कैसे लिखते हैं?' उन्होंने कहा- हां, हमने स्कूल में सीखा है. वो जल्दी से डायरी बंद कर देते हैं और कहते हैं. वो समय चला गया. इसलिए, मुझे हमेशा से इस बात को समझनी थी किउस यात्रा के साथ, क्या बदला? इन समुदायों का क्या गया? जो सदियों से एक साथ रह रहे थे और उन्हें रातों रात दुश्मनों में बदल दिया गया.
स्पर्श आहूजा, प्रोजेक्ट दास्तान के CEO

भारत का विभाजन मानव इतिहास में इस तरह का सबसे बड़ा पलायन था. करीब 1.4 करोड़ लोगों का पलायन और हजारों लोगों की मौत प्रोजेक्ट दास्तान के सदस्य बताते हैं कि हम विभाजन के बारे में बात करना चाहते थे. हम इन लोगों को घर वापस ले जाना चाहते थे.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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