advertisement
फिल्म के टाइटल 'टीकू वेड्स शेरू' (Tiku Weds Sheru) से ही पता चलता है कि फिल्म टीकू और शेरु की जिंदगी की कहानी के कुछ पहलू पर आधारित है. यही वजह है कि फिल्म देखते हुए इसमें कोई हैरानी नहीं होती जब फिल्म का सेकेंड हाफ टीकू के एक्टर बनने की महत्वकांक्षाओं और रुकावटों पर पूरी तरह केंद्रित हो जाता है.
फिल्म की जैसे ही शुरुआत होती है वैसे ही स्क्रीन पर शिराज खान अफगानी यानी शेरू के किरदार में नवाजुद्दीन सिद्दीकी (Nawazuddin Siddiqui) नजर आते हैं. शेरू हिंदी फिल्मों में एक जूनियर कलाकार है और उद्योग के बड़े लोगों और प्रभावशाली राजनेताओं के लिए दलाली करता है.
शेरू अपनी होने वाली दुल्हन तसनीम यानी टीकू (Avneet Kaur) से मिलने के लिए भोपाल जाता है. टीकू, शेरू से उम्र में काफी छोटी है, लेकिन इस बात से किसी कोई खास परेशानी नहीं होती है. वह अपनी इस शादी को एक अवसर के रूप में देखती है, जो उसे उसके परिवार से दूर 'सपनों के शहर' मुंबई में ले जाएगी ताकि वह एक स्टार बन सके.
यहां तक दो किरदारों के बीच उम्र का फासला कहानी का हिस्सा लगता है. लेकिन पितृसत्तात्मक व्यवस्था में किसी को भी एक युवा लड़की की अधिक उम्र के व्यक्ति से शादी करने पर आपत्ती नहीं है. इसमें टीकू के खुद के रहस्य भी हैं और साथ-साथ समाज की कुछ अपेक्षाएं भी, जिसपर उसे खुद उतरना होगा.
फिल्म में दिक्कत तब शुरू होती है जब स्क्रीनप्ले अचानक करवट लेता है और रोमांस में तब्दील हो जाता है. वैसे बॉलीवुड में ऐसा होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है.
टीकू और शेरू दोनों के अपने-अपने राज हैं और स्वाभाविक तौर पर इसका असर उनके रिश्ते पर पड़ता हुआ दिखाई देता है. शेरू ने टीकू के लिए जो स्वांग रचा था उसे बनाए रखने के लिए वह अपराध की दुनिया में चला हो जाता है. वो दोनों नाइटक्लबों में डांस करते हैं, महंगे रिसॉर्ट्स में जाते हैं और एक शानदार कार में शहर में घूमते हैं, और यह सब समुद्र किनारे अजीब से रोमांटिक सीन पर खत्म हो जाता है.
नवाजुद्दीन सिद्दीकी बॉलीवुड के उन गिन-चुने अभिनेताओं में से हैं जिन्होंने बॉलीवुड फिल्मों में हीरो को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए जाने की अवधारणाओं को तोड़ा है. शेरू के रूप में उन्होंने यह फिर से साबित कर दिया है कि उनकी प्रतिभा का स्तर काफी ऊंचा है. शेरू और उनकी हालिया रिलीज फिल्म जोगिर सारा रा रा के किरदार जोगी के बीच अंतर स्पष्ट कर पाना काफी कठिन होगा.
21 वर्षीय अवनीत कौर ने फिल्म में शानदार काम किया है. घिसी-पिटी स्क्रीनप्ले के बावजूद कौर का अभिनय काफी जोशीला है. उनका अभिनय ही एकमात्र कारण हो सकता है जिसकी वजह से आप फिल्म के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ सकते हैं.
एक्टर्स के अलावा फिल्म का प्लस पॉइंट इसका म्यूजिक भी है. श्रेया घोषाल और मोहित चौहान की गायकी से प्रभावित न होना बहुत मुश्किल है. बैकग्राउंड स्कोर पर अमन पंत ने प्रभावी काम किया है.
टीकू वेड्स शेरू के बारे में एक बात जो सामने आती है वह है- प्रोडक्शन डिजाइन और बारीकियों पर ध्यान. कहानी में टीकू और शेरू अपनी जगह पर सही लगते हैं और यहां तक कि आसपास का माहौल भी फिल्म की परिस्थितियों से पूरी तरह मेल खाता है.
यौन शोषण और झूठ से भरी फिल्म इंडस्ट्री की अंधेरी गलियों में कदम रखने वाली मासूम लड़की की कहानी ऐसी है जो पहले भी कई बार दिखाई गई है, लेकिन ये कहानियां कभी खत्म नहीं होती. उस नजर से देखें तो टीकू वेड्स शेरू एक नेक इरादे वाली फिल्म है, जो अपने ट्रैक से भटकती दिखती है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)