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बांग्लादेश में हिंसा पर चिंता, त्रिपुरा पर मौन व्रत क्यों?

त्रिपुरा के सीएम बिप्लब देब के ट्विटर पर जाइएगा तो पता भी नहीं चलेगा कि उनके राज्य में कहीं कोई हिंसा हुई है.

शादाब मोइज़ी
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<div class="paragraphs"><p>त्रिपुरा के सीएम बिप्लब देब अपने राज्य में हो रही हिंसा पर क्यों चुप हैं?</p></div>
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त्रिपुरा के सीएम बिप्लब देब अपने राज्य में हो रही हिंसा पर क्यों चुप हैं?

(फोटो : क्विंट हिंदी)

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भारत के नक्शे में एक राज्य है. नॉर्थ ईस्ट में पड़ता है. जहां मकान, दुकान, धार्मिक स्थल पर हमला किया गया है. तोड़-फोड़, आगजनी, अल्पसंख्यक समुदाय निशाने पर. नफरत फैलाने वाले नारे लगाए गए. वो भी इसलिए क्योंकि पड़ोस के देश बांग्लादेश (Bangladesh Violence) में बहुसंख्यक समाज के कुछ नफरती लोगों ने अल्पसंख्यक समाज के दुर्गा पूजा के दौरान हिंसा की, और हिंदू धर्म का अपमान किया. अब हिंसा कहीं और हुई उसका बदला किसी और से कहीं और निकाला जा रहा है. राज्य का नाम है त्रिपुरा (Tripura).

लेकिन त्रिपुरा के सीएम बिप्लब देब के ट्विटर पर जाइएगा तो पता भी नहीं चलेगा कि उनके राज्य में कहीं कोई हिंसा हुई है.

ये वहीं बिप्लब देब हैं जिन्होंने कहा था कि भारत में महाभारत काल के समय से ही इंटरनेट का इस्तेमाल हो रहा है. अब लगता है कि कलयुग में आते-आते बिप्लब देब जी का इंटरनेट शट डाउन हो गया.

बांग्लादेश, अफगानिस्तान, पाकिस्तान में हुई हिंसा पर बोलने वाले दिल्ली की कुर्सी पर बैठे नेता तक सब चुप हैं. न एक्शन की बात हो रही है और न ही निंदा वाले ट्वीट आ रहे हैं. इसलिए जब अपने देश में हिंसा होगी और चुप्पी साधिएगा तो हम पूछेंगे जनाब ऐसे कैसे?

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पूर्वी बांग्लादेश की सीमा से लगा भारतीय राज्य त्रिपुरा हिंसा की चपेट में है. पिछले कुछ दिनों से झड़प, मारपीट और तोड़फोड़ की खबरें सामने आ रही हैं. दरअसल, बांग्लादेश की राजधानी ढाका में दुर्गा पूजा पंडाल में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप को लेकर हिंसा हुई थी. इस हिंसा में दो लोग मारे गए थे.

लेकिन बांग्लादेश में भड़की हिंसा ने भारत के त्रिपुरा को अशांत कर दिया. बांग्लादेश में हुई हिंसा के विरोध में राइट विंग के कई संगठनों ने त्रिपुरा में रैलियां निकालीं. लेकिन ये रैलियां भारत के लोगों के खिलाफ हैं. त्रिपुरा के आठ में से करीब पांच जिले हिंसा की चपेट में आ गए. सिपाहीजाला, गोमती, उनाकोटी, वेस्ट त्रिपुरा, नॉथ त्रिपुरा.

26 अक्टूबर की शाम रैली के दौरान चमटिल्ला इलाके पर हमला कर दिया गया. यहां मस्जिदों पर पथराव किया गया और उसके दरवाजा तोड़ दिए गए. पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही हिंसा को देखते हुए पुलिस ने कई मस्जिदों को सुरक्षा देने की बात कही है.

इससे पहले 21 अक्टूबर को त्रिपुरा के गोमती जिले में दक्षिणपंथी समूहों और पुलिस के बीच हुई झड़प में तीन पुलिस वाले समेत 12 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. पुलिस का कहना है कि कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की खबरों के बाद दक्षिणपंथी समूहों को विरोध रैली की मंजूरी नहीं दी गई. यह रैली गोमती जिले के उदयपुर सब डिविजन के फोटामती और हीरापुर इलाकों में होने वाली थी.

इसके अलावा भी ऐसे कई इलाके थे जहां से बांग्लादेश में हुई हिंसा के विरोध में रैली गुजरी और तोड़फोड़ और आगजनी हुई. दर्जनों दुकान, घर और मस्जिद को निशाना बनाया गया.

पुलिस का क्या कहना है

नॉर्थ त्रिपुरा में पानीसागर में हिंसा की खबर आई. लेकिन त्रिपुरा पुलिस के आईजीपी लॉ एंड ऑर्डर सौरभ त्रिपाठी ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा कि पानीसागर को लेकर फर्जी खबरें और अफवाहें फैलाई जा रही हैं. किसी भी मस्जिद में आग की कोई घटना नहीं हुई. हालांकि पानीसागर के बीजेपी विधायक और पुलिस अधिकारी एसडीपीओ कुछ और ही कहानी बता रहे हैं.

जब हमने बीजेपी एमएलए बिनौए भूषण दास से बात की तो उन्होंने भी हिंसा की बात मानी. इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में पानीसागर सब डिविजन के एसडीपीओ सौभिक डे ने बताया कि, ‘पानीसागर में वीएचपी की विरोध रैली में लगभग 3,500 लोग शामिल थे. इस दौरान वीएचपी कार्यकर्ताओं के एक वर्ग ने चमटिल्ला इलाके में एक मस्जिद में तोड़फोड़ की. छोड़ी दूर रोवा बाजार इलाके में तीन घरों और तीन दुकानों में तोड़फोड़ की गई और दो दुकानों में आग लगा दी गई.’ अब कौन सच बोल रहा है? MLA, लोकल पुलिस या आईजीपी...

बांग्लादेश हिंसा के बाद वहां की पीएम शेख हसीना ने क्या कहा

बांग्लादेश में जो हुआ वो गलत है, उसकी निंदा कड़े शब्दों में जरूर करनी चाहिए. लेकिन ये भी जान लीजिए कि बांग्लादेश की पुलिस ने हिंसा और हत्या के आरोप में कई लोगों को गिरफ्तार किया.

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने देश में हिंदुओं पर हुई हिंसा पर खुलकर कहा कि हिंसा करने वाले को भी बख्शा नहीं जाएगा. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे किस धर्म के हैं. उनको पकड़ा जाएगा और उन्हें सजा दी जाएगी.

अब आते हैं दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेताओं पर. अफगानिस्तान, पाकिस्तान, अमेरिका, लंदन, बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समाज के खिलाफ हिंसा पर बोलने की बारी आए तो हमारे नेता मुखर नजर आते हैं, लेकिन अपने देश में अल्पसंख्यकों पर हिंसा पर मौन व्रत.

जो त्रिपुरा के सीएम, ऐश्वर्या राय सुंदर हैं, लेकिन डायना हेडन सुंदर नहीं हैं जैसी बात कहते हैं, जो सीएम ‘बतख से पानी में ऑक्सीजन बढ़ता है’ जैसे तर्क देते हैं, वो चुप हैं. कई दिनों से त्रिपुरा में हिंसा की खबरें आ रही हैं, लेकिन सीएम साहब के ट्विटर पर जाने से पता लगेगा कि त्रिपुरा में कुछ हो ही नहीं रहा. लेकिन सीएम साहब का एक बयान तब खबरों में आया था जब बांग्लादेश में हिंसा हुई थी.

मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने बांग्लादेश में हुई हिंसा पर चिंता व्यक्त की थी और कहा था कि यह भारत-बांग्लादेश संबंधों को नुकसान पहुंचाने की एक ठोस साजिश का हिस्सा है. लेकिन अपने ही राज्य में उन्हें कोई साजिश क्यों नहीं दिख रही.

सवाल सिर्फ सरकार या नेताओं से ही नहीं बल्कि मीडिया से भी. याद है बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान हिंसा का मीडिया कवरेज. लेकिन त्रिपुरा में हुई हिंसा पर न प्राइम टाइम पर बहस है न ही हवा-हवाई एंकरिंग. अगर नेता, मीडिया सब चुप रहेंगे तो हम बार-बार पूछेंगे जनाब ऐसे कैसे?

फोटो क्रेडिट- मसीहुज्जमा अंसारी

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Published: 01 Nov 2021,03:10 PM IST

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