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Turkey-Syria Earthquake: तुर्की और सीरिया में आए भूकंप से 11000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. अभी ये आंकड़ा और भी ज्यादा बढ़ सकता है. अभी तुर्की और सीरिया 7.8 की तीव्रता वाले जानलेवा भूकंप के झटके से उबरा भी नहीं था कि स्थानीय समयानुसार दोपहर के लगभग 1:30 बने एक नया 7.5 तीव्रता का भूकंप आया, जिसके बारे में अधिकारियों ने कहा कि यह "आफ्टरशॉक नहीं" था.
आइए समझने की कोशिश करते हैं कि तुर्की और सीरिया के इस इलाके में बार-बार भूकंप क्यों आते हैं? इसबार का भूकंप इतना घातक क्यों था? भूकंप के बाद आफ्टरशॉक्स क्यों आते हैं?
लगभग सभी भूकंप धरती के अंदर टेक्टोनिक प्लेटों की गति/मूवमेंट के कारण आते हैं. पृथ्वी के आउटरशेल के ये विशाल टुकड़े लगातार एक दूसरे से टकराते रहते हैं या घर्षण करते हैं. कभी-कभी घर्षण के कारण दो प्लेटें आपस में 'अटक' जाती हैं. जब दबाव के निर्माण के कारण ये प्लेटें अंततः एक-दूसरे से फ्री हो जाती हैं तो भारी मात्रा में ऊर्जा रिलीज होती है, जिसे हम भूकंप के रूप में अनुभव करते हैं. यही कारण है कि अधिकांश भूकंप आमतौर पर विवर्तनिक/टेक्टोनिक प्लेटों के किनारे, भ्रंश रेखाओं पर बसे क्षेत्र में आते हैं.
तुर्की दुनिया के सबसे भूकंप संभावित देशों में से एक है. तुर्की में बार-बार भूकंप आने के पीछे का कारण दरअसल उसका लोकेशन है. तुर्की का लोकेशन इसे तीन अलग-अलग टेक्टोनिक प्लेटों के ठीक ऊपर खड़ा करता है.
साइंटिफिक अमेरिकन मैगजीन के अनुसार, सोमवार को आये भूकंप में एक फॉल्ट टूटा था जो अपेक्षाकृत ऊपर था मतलब बहुत ज्यादा गहरा नहीं था. यह पृथ्वी की सतह से लगभग 18 किमी नीचे था और इस वजह से इसका कंपन अधिक तीव्रता से महसूस हुआ.
भूकंप में लोगों के मरने का एक मुख्य कारण ईंटों और सीमेंट के मलबे का गिरना और उसके नीचे दब जाना है. USGS के अनुसार, दक्षिणी तुर्की की आबादी ऐसी मकानों/बिल्डिंग्स में रहती है जो भूकंप के झटकों के लिए बेहद संवेदनशील हैं.
ब्रिटिश जियोलॉजिकल सर्वे से जुड़े रोजर मुसन ने न्यूज एजेंसी AP को बताया कि भूकंप का प्रभाव इतना घातक होने का एक और कारण यह था कि यह तड़के सुबह उस समय आया जब लोग सो रहे थे और वे ढहते मकानों के नीचे फंस गए थे.
अक्टूबर 2011- ईरानी बॉर्डर के करीब बसा वान का क्षेत्र दशकों से भूकंपों से विशेष रूप से बुरी तरह प्रभावित हुआ है. यहां अक्टूबर और नवंबर 2011 में दो भूकंप आए थे, जिससे 900 से अधिक लोगों की जान चली गई थी.
अगस्त 1999- तुर्की के पश्चिमी शहर इज़मित में आए 7.4 तीव्रता के भूकंप में 17,000 से अधिक लोग मारे गए.
नवंबर 1976- इस भूकंप का केंद्र पूर्वी तुर्की के वान प्रांत में मुरादिये से 20 किमी उत्तर-पूर्व में कैलडीरन के पास था. भूकंप में मरने वालों की संख्या 4,000 और 5,000 के बीच थी जबकि भूकंप की तीव्रता 7.3 थी.
दिसंबर 1939- 27 दिसंबर 1939 को तुर्की में आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 8.2 दर्ज की गई थी और यह देश के इतिहास में अब तक का सबसे शक्तिशाली भूकंप है. इसके कारण 30,000 से अधिक लोगों की जान चली गई थी.
बड़े भूकंपों के बाद, कई छोटे भूकंप आते हैं, जिन्हें आफ्टरशॉक्स के रूप में जाना जाता है. इसके पीछे के कारण यह है कि पहला बड़ा भूकंप आने के बाद पृथ्वी की ऊपरी परत पैदा हुए तनाव के हिसाब से खुद को थोड़ा आगे-पीछे करती है. द जर्नल के अनुसार, तुर्की लगभग 200 से अधिक आफ्टरशॉक्स से हिल गया है.
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