Home Videos उन्नाव: 2 दशक में किसी दल को नहीं मिला दोबारा मौका,बदलेगा ट्रेंड?
उन्नाव: 2 दशक में किसी दल को नहीं मिला दोबारा मौका,बदलेगा ट्रेंड?
उन्नाव: समस्याओं के बीच साक्षी ‘महाराज’ को मिलेगी गद्दी या प्रतिद्वंद्वी तोड़ेंगे चुनावी चक्रव्यूह
विक्रांत दुबे
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उन्नाव की जनता के पास मुद्दे तो बहुत हैं लेकिन उनका हल कौन करेगा?
(फोटो: क्विंट हिंदी)
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वीडियो एडिटर: वरुण शर्मा
लोकसभा चुनाव की कवरेज के लिए क्विंट पहुंचा है यूपी के उन्नाव. उन्नाव, उत्तर प्रदेश के 2 सबसे बड़े शहर लखनऊ और कानपुर के बीच बसा हुआ है. उन्नाव में ग्राउंड रिपोर्टिंग के दौरान कई स्थानीय समस्याएं जनता ने गिनाए. किसान, व्यापारी, युवा सबके अपने मुद्दे हैं लेकिन उनका सवाल है कि- उन्हें सुनने वाला कौन है?
वैसे उन्नाव का अपना भी एक दिलचस्प इतिहास रहा है. इस लोकसभा सीट पर पिछले 2 दशक में यहां की जनता ने दोबारा किसी भी पार्टी को मौका नहीं दिया. यानी कि 1999 में एसपी का सांसद, उसके बाद बीएसपी, फिर कांग्रेस और बीजेपी के साक्षी महाराज इस सीट से मौजूदा सांसद हैं.
उन्नाव के लोगों की बड़ी परेशानी दूषित पानी को लेकर है. यहां का पानी पीने लायक तो छोड़िए फसलों की सिंचाई के लायक भी नहीं है. लेदर टेनरीज से निकलने वाला गंदा पानी यहां पेयजल की संकट खड़ा कर रहा है.
आवारा गोवंश से भी किसान परेशान हैं. मूल सुविधाओं से मरहूम उन्नाव फिलहाल इससे आगे का विकास सोच ही नहीं पाता. किसान बाबूलाल बताते हैं..
39 करोड़ रुपये तो प्रयागराज में खर्च हुआ है, गरीब पर कितना खर्च होता है. करीब 7 साल हो गए मीटिंग हुई थी. कहा गया- डामर रोड बनेगा. आरसीसी बनेगा. गंदे नालों केकिनारे ईंट लगेगी, पुलिया बनेगी. लेकिन एक काम नहीं हुआ. सब इलेक्शन के वादे हैं- ‘ये करेंगे वो करेंगे’. करता कोई कुछ नहीं है. बाइट- बनवारी, किसान -
बाबूलाल, किसान
हमारे यहां जमीन उपजाऊ नहीं है, उसमें पैदावार नहीं होती है. नहर में पानी दूषित आता है, टेनरियों का पानी आता है, उससे फसल जल जाती है.
बनवारी, किसान
किसानों के अलावा उन्नाव के व्यापारी और युवाओं के अपने अलग मुद्दे हैं. व्यापारी के लिए जहां जीएसटी के आने से कुछ परेशानियां हुई हैं. वहीं युवाओं के सामने रोजगार जैसे मुद्दे हैं.
सरकार नौकरी देने में फेल रही है. हम सरकार बदलना चाहते हैं. बहुत ऊब गए हैं. आये दिन दंगा, आये दिन एयर स्ट्राइक, हमारे जवान मरते जाते हैं लेकिन हमारे देश के प्रधानमंत्री कहते हैं कि, हमने सब कुछ किया, लेकिन किया कुछ नहीं. हमने अपने शहीदों के शव देखे, चीथड़े देखे, लेकिन पाकिस्तान का हमने एक भी नहीं देखा. एयर स्ट्राइक एयर में ही रह गयी. हमें इनसे बहुत उम्मीद थी. 2014 में वोट देते हुए लगा था कि, हमारी सारी समस्याएं हल हो जाएंगी. पर 5 साल बीत गए लेकिन हमारी समस्याएं बढ़ती ही जा रही हैं पर कुछ हल नहीं हुआ.