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देश के बड़े शहरों के लोग तो कोरोना से बेहाल हैं, लेकिन यूपी के गांवों का क्या हाल है. पूर्वी उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के किनारे 120 किलोमीटर तक के इलाके में कई गांव महामारी से तबाह हो गए हैं. यूपी के वाराणसी और बिहार के बक्सर के बीच पांच गांवों का हाल जानने के लिए क्विंट की टीम ने गांवों का दौरा किया और ये जानने की कोशिश की कोरोना काल में गांवों के लोग इस वायरस से कैसे लड़ रहे हैं.
लोगों का दावा है कि गांवों में लोगों की मौतें हो रही हैं, लेकिन वो लोग कोरोना का टेस्ट तक नहीं करा रहे, यहां तक कि सरकार भले ही वैक्सीनेशन को लेकर तमाम दावे करें लेकिन लोग वैक्सीन तक नहीं लगवाते
गांववालों को ये भी नहीं पता की वैक्सीन कैसे लगवाते हैं, वाराणसी के ही एक और गांव भंदकहा कला में टेस्टिंग के लिए कोई कैंप तक नहीं लगा और ना ही टीकाकरण अभियान चला. गांव के सबसे नजदीक डो सरकारी स्वास्थ्य सुविधा है वो भी 23 किलोमीटर की दूरी है.
गांववालों को ये भी नहीं पता की वैक्सीन कैसे लगवाते हैं, वाराणसी के ही एक और गांव भंदकहा कला में टेस्टिंग के लिए कोई कैंप तक नहीं लगा और ना ही टीकाकरण अभियान चला. गांव के सबसे नजदीक जो सरकारी स्वास्थ्य सुविधा है वो भी 23 किलोमीटर की दूरी है.
मुश्किल ये है कि अगर किसी गांव में टेस्टिंग हो भी रही है, तो लोग टेस्टिंग कराने नहीं जाते, क्योंकि उनको इस बात का डर है कि अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आ गया तो डॉक्टर उनको अपने साथ ले जाएंगें
सुविधाओं की कमी और जानकारी के आभाव में लोग खुद अपने लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं. कुछ लोग तो वैक्सीन इस डर से नहीं लगवा रहे कि उनकी तबीयत बिगड़ जाएगी. तो वहीं कोरोना के लक्षण दिखने के बावजूद लोग अस्पताल से कतरा रहे हैं, क्योंकि उन्हें घर में मरना मंजूर है अस्पताल में नहीं.
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