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लखीमपुर: भूमिहीनों के खाते में दिखाए लाखों रुपये, फिर राशन कार्ड छीना

निघासन तहसील के गोरिया गांव में तकरीबन 70 परिवारों के राशन कार्ड प्रशासन ने कुछ महीने पहले निरस्त कर दिए थे.

पीयूष राय
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<div class="paragraphs"><p>लखीमपुर का गोरिया गांव</p></div>
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लखीमपुर का गोरिया गांव

Piyush Rai/Quint Hindi

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वीडियो एडिटर: सुब्रोतो अधिकारी

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में अपनी चुनाव यात्रा के दौरान क्विंट लखीमपुर खीरी के गोरिया गांव पहुंचा. लखीमपुर तब सुर्खियों में आया था जब किसान आन्दोलन के दौरान बीजेपी के केन्द्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा ने किसानों के काफले पर गाड़ियां चढ़ा दी थी. लेकिन लखीमपुर के गांव वालों के और भी दर्द हैं. इस रिपोर्ट में क्विंट ने गोरिया गांव के निवासियों से उनके मुद्दों पर बातचीत की है.

निघासन तहसील के गोरिया गांव में तकरीबन 70 परिवारों के राशन कार्ड प्रशासन ने कुछ महीने पहले निरस्त कर दिए थे. जब ग्रामीणों ने इसका कारण जानना चाहा तो उन्हें काफी अचंभित करने वाली जानकारी मिली. ग्रामीणों के अनुसार जिला सहकारी बैंक में इनके खाते थे और उन खातों में लाखों रुपये का लेनदेन हुआ है, जिनसे धान और राशन खरीदा गया था.

“गल्ला लेने गए तो वहां गल्ला नहीं मिला. कहा गया कि तुम्हारा राशन कार्ड कट गया है. जब पता लगाया कि क्यों काटा गया है तो पता चला हमारे खाते से पैसा निकाला गया है. 6 लाख 56 हजार रुपये निकाले गए थे. केस भी किया लेकिन अभी कुछ नहीं हुआ राशन कार्ड भी नहीं मिला.”
पुनीत कुमार (ग्रामीण, गोरिया निघासन)

तीन महीनों से नहीं है राशन कार्ड, ग्रामीण परेशान

गांव में बड़ी आबादी भूमिहीन खेतिहर मजदूरों की है. जिन लोगों के राशन कार्ड निरस्त किए गए हैं उनमें से अधिकांश के पास जमीन भी नहीं है. इस समय ग्रामीण परेशान है. क्योंकि महीनों से राशन कार्ड निरस्त होने के कारण उनके घर उनका राशन नहीं पहुंच पा रहा है.

“किसी के खाते से 25 लाख, किसी के 30 लाख या किसी के 15, किसी के 10 लाख रुपयों का लेनदेन हुआ. सपने में नहीं सोच सकते कि हमारे अकाउंट से इतना पैसा निकलेगा”
विमल शुक्ला (ग्रामीण, गोरिया निघासन)

गोरिया गांव की निवासी सबीना कहती है “जब जानकारी ली तो बताया गया कि 12 लाख रुपये निकला है. तिकोनिया बैंक गए तो पता चला 14 लाख 36 हज़ार निकला है. कहा गया कि आपने कुछ बेचा होगा. जब हमने कुछ बेचा ही नहीं, कभी तिकोनिया बैंक देखा ही नहीं तो हम कहां से पैसा निकलवाते?”

3 महीने हो चुके हैं. लेकिन ग्रामीणों की समस्या का हल अबतक नजर नहीं आ रहा है.

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