Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019थोक में तबादले, क्या उत्तर प्रदेश बन गया ‘ट्रांसफर प्रदेश’?

थोक में तबादले, क्या उत्तर प्रदेश बन गया ‘ट्रांसफर प्रदेश’?

यूपी में इक्का दुक्का नहीं थोक के भाव में हो रहे हैं ट्रांसफर.

शादाब मोइज़ी
वीडियो
Published:
i
null
null

advertisement

वीडियो एडिटर- पूर्णेंदू प्रीतम

क्या उत्तर प्रदेश ट्रांसफर प्रदेश बनता जा रहा है? एक सीनियर पुलिस अफसर एक जिले में लाया जाता है-एक महीने में ट्रांसफर. एक जिले में इंटरनेशनल आयोजन होने वाला है - उससे पहले ही एसएसपी का ट्रांसफर. यूपी में इक्का दुक्का नहीं थोक के भाव में हो रहे हैं ट्रांसफर. फिलहाल यूपी सरकार ने 25 जुलाई को 15 आईपीएस अफसरों का तबदला कर दिया है. क्यों किया वो सरकार ही जाने.

जिन अफसरों का तबदला किया गया है, उनमें अलीगढ़ के डीआईजी डॉ. प्रितिंदर सिंह, अमेठी की एसपी ख्याति गर्ग, अयोध्या के एसएसपी आशीष तिवारी, चित्रकूट के डीआईजी प्रदीप कुमार और लखनऊ पीएसी मुख्यालय में आईजी अनिल राय जैसे नाम शामिल हैं.

आप कहेंगे कि हम उत्तर प्रदेश को ट्रांसफर प्रदेश क्यों कह रहे हैं, तो चलिए आपको डीटेल में ले चलते हैं. गिनते जाइए.

  • 25 जुलाई से पहले 7 जुलाई को राज्य में 13 पुलिस अफसरों का तबादला किया गया था.
  • 24 जून की रात एक साथ एक आइएएस, 15 पीसीएस और 69 पीपीएस अफसर का ट्रांसफर.
  • 15 जून की रात 9 जिलों के एसपी समेत 14 आईपीएस अफसर का ट्रांसफर.
  • इससे पहले 26 मई को राज्य में 10 आईपीएस अफसर-ट्रांसफर.
  • वहीं 9 जनवरी को 14 आईपीएस अधिकारियों का तबादला कर दिया गया. जिसमें लखनऊ के एसएसपी को गाजियाबाद भेज दिया गया था.

पुलिस महकमे से बाहर भी ट्रांसफर

20 जुलाई को छह IAS अफसरों का तबादला हुआ. जुलाई में ही उन्नाव में एक कैदी के जेल में पिस्तौल लहराने वाले मामले के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने 21 जेल अधिकारियों और 15 आईएएस अधिकारियों के तबादले किए थे. 14 June को 11 आईएएस अफसरों का ट्रांसफर हुआ था.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
और तो और 69 हजार शिक्षक भर्ती घोटाला पर एक्शन लेने वाले एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध का भी जून के महीने में तबादला कर दिया गया. ये वही घोटाला था, जिसमें प्रयागराज के बीजेपी नेता चंद्रमा सिंह यादव का नाम आया था.

अब आपको कुछ ट्रांसफर की ओर ध्यान दिलाते हैं.

'किडनैपिंगपुर' बने कानपुर के एसएसपी दिनेश कुमार पी का ट्रांसफर हुआ है. दिनेश कुमार को जून में ही कानपुर लाया गया था. ये वही 'विकास दुबे, कानपुर वाले' का कानपुर है, जिसने पुलिस और क्राइम की जुगलबंदी की कई कहानी दुनिया के सामने लाकर रख दी. कानपुर पुलिस महकमा पिछले कुछ दिनों में तमाम बुरी खबरों के कारण सुर्खियों में आया. इनमें विकास दुबे से लेकर एक लैब टेक्नीशियन की किडनैपिंग केस में पुलिस वालों की लापरवाही का मामला भी शामिल है.

22 जून को हुए लैब टेक्नीशियन के किडनैपिंग मामले में पुलिस पर गंभीर आरोप लगे हैं. परिवार ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनसे किडनैपर्स को तीस लाख रुपये दिलवा दिए. एक महीने बाद भी पुलिस अगवा शख्स को छुड़ा न पाई और आखिर में अपहरणकर्ताओं ने युवक की हत्या कर दी.

इसी तरह जिस अमेठी की एसपी ख्याति गर्ग का तबादला किया गया है, वहां की एक मां-बेटी ने कुछ दिन पहले लखनऊ में विधानसभा के सामने आत्मदाह की कोशिश की, जिसमें बाद में मां की मौत भी हो गई. इस केस में भी मां-बेटी का यही आरोप है कि पुलिस से उसे इंसाफ नहीं मिला.

लेकिन इतने ट्रांसफर और एनकाउंटर के बाद भी यूपी में अपराधी बेखौफ हैं. लग रहा है कि अतिश्योक्ति में चला गया हूं तो ये क्या है. गाजियाबाद में एक पत्रकार अपनी भांजी के साथ छेड़खानी के खिलाफ पुलिस में शिकायत करता है. पुलिस तो कुछ नहीं करती, बदमाश जरूर उस पत्रकार को बीच सड़क गोली मार देते हैं. सोचिए बदमाश क्या सिर्फ उस पत्रकार को निशाना बना रहे थे या फिर पुलिस को भी खुली चुनौती दे रहे थे?

अब जब पुलिस महकमे को लेकर हर तरफ से नेगेटिव हेडलाइंस आ रही है तो क्या ट्रांसफर उस हेडलाइन पर पर्दा और एक्शन में दिखने की कोशिश है? लेकिन अफरातफरी सिर्फ पुलिस डिपार्टमेंट में ही नहीं है.

25 जुलाई को अयोध्या के एसएसपी का भी तबादला हुआ है, वो भी ऐसे वक्त में जब 5 अगस्त को राम मंदिर का भूमि पूजन होना है, जिसमें पीएम के पहुंचने की भी बात कही जा रही है. 25 जुलाई को खुद सीएम योगी अयोध्या पहुंचे थे. वहां उन्होंने भूमि पूजन की तैयारियों का जायजा लिया था. बता दें कि आशीष तिवारी लंबे समय से अयोध्या के एसएसपी थे लेकिन फिलहाल साइडलाइन कर दिए गए. अब उन्हें एसपी रेलवे झांसी बनाया गया है.

ट्रांसफर की ये रफ्तार तब है जब मई में सरकार ने कोरोना को देखते हुए ट्रांसफर पर रोक लगा दी थी. कहा गया था कि किसी ‘अपरिहार्य’ स्थिति में सीएम से अनुमोदन के बाद ही ट्रांसफर होगा. अब जाहिर है रोक हटा ली गई है. लेकिन कोरोना संकट तो खत्म हुआ नहीं है. तो ऐसी क्या अपरिहार्य स्थिति आ गई है?

कहते हैं ट्रांसफर दो ही वजहों से होती हैं, या तो अफसर से चीजें संभल नहीं रही हों या फिर सरकार से. अब जिस तरह से यूपी में क्राइम बढ़ रहा है उसमें ट्रांसफर कितना कारगार होगी ये तो न्यूज की हेडलाइन ही बताएगी.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT