Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019UP चुनाव: देश का सबसे बड़ा कैंची बाजार क्यों हुआ लाचार?

UP चुनाव: देश का सबसे बड़ा कैंची बाजार क्यों हुआ लाचार?

सरकार द्वारा लगाई गई GST का कैंची बाजार पर बुरा असर पड़ा है

शादाब मोइज़ी
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<div class="paragraphs"><p>देश का सबसे बड़ा कैंची बाजार क्यों हुआ लाचार?</p></div>
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देश का सबसे बड़ा कैंची बाजार क्यों हुआ लाचार?

(फोटो- शादाब मोइज़ी)

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मेरठ (Meerut) में सबसे बड़े कैंची व्यापारियों का हाल बेहाल है. कैंची बनाने वाले और व्यापारियों का कहना है कि हमें परिवार चलाना मुश्किल हो जाता है. उन्होंने बताया कि बिना किसी सुरक्षा उपकरण के काम करना होता है, हमें गर्मियों में आग के सामने काम करना पड़ता है, जिससे बहुत मुश्किल होती है. बिना किसी सुरक्षा उपकरण के काम करने से सांस की बीमारी हो जाती है.

यूपी की कैंची इंडस्ट्री पर किसने चलाई कैंची?

द क्विंट से बात करते हुए मेरठ के 'परमात्मा कैंची' के प्रोपराइटर सनी कंसल कहते हैं -

कैंची कारोबार में सबसे ज्यादा समस्या जीएसटी की वजह से आई है, पहले इसमें 5 प्रतिशत का VAT था, जिसको हम लोग कवर कर लेते थे. अब सरकार ने कैंची पर 18 प्रतिशत का जीएसटी लगा दिया है. कैंची बनाने का काम बहुत कठिन होता है, एक कैंची कुल 18 हांथों से गुजरती है उसके बाद कंज्यूमर के पास जाती है.

उन्होंने कहा कि कैंची अगर 5 सौ रूपए में बिके तब भी बहुत सस्ती है, लेकिन यह 100 और 150 रूपए में बिकती है. आज से 4-5 साल पहले यहां से ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका भी माल जाता था, लेकिन आज हम फेल हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि तीन साल हो चुके हैं मैंने किसी एक्सपोर्टर को माल नहीं दिया है.

हम लोग वाउचर पर्चेज माल खरीदते हैं, पक्के बिल से हमारी कोई खरीददारी नहीं होती है. सामने वाली पार्टी प्रॉफिट ऑफ मार्जिन उतना है नहीं, इस वजह से सारा काम आज भी दो नंबर में हो रहा है.
सनी कंसल, मेरठ
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क्या चुनाव से इस पर फर्क पड़ेगा?

इस पर सनी कंसल ने कहा- नहीं, चुनाव से कैंची बाजार पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है क्योंकि कैंची इंडस्ट्री चुनाव का मुद्दा नहीं है. जो मुसलमान वर्कर्स हैं मुसलमान कैंडीडेट को वोट करेंगे और जो हिन्दू हैं वो बीजेपी को वोट करेंगे. चुनाव से हमारे कारोबार पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है.

नहीं, चुनाव से कैंची बाजार पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है क्योंकि कैंची इंडस्ट्री चुनाव का मुद्दा नहीं है. जो मुसलमान वर्कर्स हैं, मुसलमान कैंड्डिडेट को वोट करेंगे और जो हिन्दू हैं वो बीजेपी को वोट करेंगे. चुनाव से हमारे कारोबार पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है.

मेरठ के कैंची बनाने वाले सैफुद्दीन कहते हैं कि कैंची का पीतल पहले 300 रुपए में मिलता था और अब 500 या 550 रुपए में मिलता है. लोहा पहले 40 रुपए था और आज 60-70 रुपए किलो में मिलता है. कैंची में लगने वाले मैटेरियल की मंहगाई डबल हो चुकी है.

भारत की कैंची पर चीन और GST की कैंची

कैंची बनाने वाले मुजम्मिल कहते हैं कि चीन के सामानों ने हमारे कारोबार पर असर डाला है. हम बैकफुट पर आ चुके हैं क्योंकि चीन के कैंचियों की कीमत कम है और हल्की भी है.

अगर सरकार इसकी टेक्नोलॉजी पर ध्यान देती और प्रॉपर नजर रखी जाती, तो ये काम शायद काफी आगे तक पहुंच सकता था, लेकिन सरकार की तरफ से ऐसा कोई मैनेजमेंट नहीं किया गया. हम मशीन की जगह सारा काम हांथों से करते हैं. अगर इससे संबंधित टेक्नोलॉजी पर ध्यान दिया जाए तो ये काम काफी आगे बढ़ सकता है.
मुजम्मिल, कैंची वर्कर, मेरठ

मेरठ की एक कैंची फैक्ट्री में वर्कर मिराजुद्दीन कहते हैं कि पहले हम सारा दिन काम करते थे लेकिन आज सिर्फ 4-5 घंटे का काम रह गया है, जिससे हम लोगों के लिए परिवार चलाना मुश्किल हो गया है.

हम बहुत मुश्किल से काम करते हैं, हमें इस ठंड में पसीना आता है काम करते हुए. गर्मियों में हमारी क्या हालत होती होगी आप खुद ही सोच लीजिए. गर्मियों में काम करते-करते हमारा ब्लड प्रेशर लो हो जाता है, और सांस की बीमारी हो जाती है.
मिराजुद्दी, कैंची वर्कर, मेरठ

उन्होंने बताया कि हमें बिना किसी सुरक्षा उपकरण के हमें काम करना होता है. टेक्नोलॉजी की कमी के कारण भी कैंची बाजार पर बुरा असर पड़ रहा है.

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Published: 28 Jan 2022,01:33 PM IST

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