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उत्तराखंड (Uttarakhand) में रिसेप्शनिस्ट की हत्या (Rishikesh Receptionist Murder Case) का मामला गरमाता जा रहा है. मृतका का रविवार को श्रीनगर गढ़वाल में अंतिम संस्कार किया जाना था. लेकिन घरवालों ने अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया है.
रिसेप्शनिस्ट के पिता ने इस मामले में कहा कि जब तक फाइनल पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट नहीं आती है, तब तक अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की भी मांग की है. मृतका के अंतिम संस्कार में देरी से प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए हैं. अधिकारी परिजनों को समझाने में जुटे हैं. हालांकि, परिजन अपनी मांग पर डेट हुए हैं.
इसके साथ ही मृतका के पिता ने वनंतरा रिसॉर्ट गिराए जाने पर भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने पूछा कि सरकार ने रिजॉर्ट को क्यों गिराया? जबकि वहां तो सारे सबूत थे. साथ ही मांग की है कि अंकिता मर्डर केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाए ताकि आरोपियों को जल्द से जल्द फांसी की सजा हो सके.
वहीं मृतका के चाचा ने कहा कि, हमें अभी तक फाइनल पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट नहीं मिली है. हम जानना चाहते हैं कि आखिरकार हमारी बच्ची की मौत कैसे हुई. रिसेप्शनिस्ट हत्याकांड का उत्तराखंड में चौतरफा विरोध हो रहा है. श्रीनगर व्यापार सभा ने बाजार बंद रखा है.
SIT ने इस हत्याकांड की जांच शुरू कर दी है. जानकारी के मुताबिक, रिसॉर्ट में काम करने वाले सभी लोगों से कड़ी पूछताछ की जा रही है. इसके साथ ही रिसॉर्ट की भी जांच चल रही है. कैसे रिसॉर्ट को लाइसेंस मिला, कैसे रिसॉर्ट संचालित होता था? SIT की टीम इन सवालों के जवाब ढूंढने में भी जुटी है. SIT की टीम मृतका के whatsapp चैट भी खंगाल रही है.
इस मामले में डीजीपी अशोक कुमार की माने तो बीजेपी नेता का बेटा और रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य ने मृतका को स्पेशल सर्विस देने के लिए दबाव बनाया था. डीजीपी ने बताया कि मृतका के मोबाइल से कुछ अहम सबूत मिले हैं, जिसके आधार पर कहा जा सकता है कि मृतका पर गलत काम करने के लिए दबाव बनाया जा रहा था. इसी गलत काम के दबाव को लेकर आपस में झगड़ा हुआ होगा और उसके बाद इस जघन्य घटना को अंजाम दिया गया.
रिसेप्शनिस्ट हत्याकांड के बाद बीजेपी डैमेज कंट्रोल में जुटी है. पार्टी ने मुख्य आरोपी पुलकित आर्य के पिता विनोद आर्य और भाई अंकित आर्य को पार्टी से निष्कासित कर दिया है. बता दें कि विनोद आर्य उत्ताराखंड के पूर्व बीजेपी मंत्री हैं, जबकि अंकित आर्य राज्य ओबीसी आयोग के उपाध्यक्ष थे. इन दोनों को राज्य सरकार ने उनके पदों से भी मुक्त कर दिया है.
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