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उर्दू शायरों ने हमेशा अपना इश्क़ या तो खुदा या फिर किसी इंसान के लिए जाहिर किया है. इश्क़ खुदा के लिए होता है तो इश्क-ए-हक़ीक़ी और इंसान के लिए अगर होता है तो इश्क़-ए-मजाज़ी कहते हैं. इस इश्क़ के लिए शायरों ने अलग-अलग मिसालें भी दी हैं. जैसे कि जिगर मोरादाबादी ने इश्क़ को ‘आग के दरिया’ से होकर जाने के बराबर बताया है. और मीर तक़ी मीर इसे ‘एक भारी पत्थर’ मानते हैं.
इस वैलेंटाइन डे, स्पेशल उर्दूनामा में सुनिए उर्दू शायरी में इश्क़ के रंग कैसे-कैसे बिखरे हुए हैं.
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