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पिछले साल 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 खत्म कर दिया गया था. संविधान का ये आर्टिकल जम्मू -कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता था. इसके बाद जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था-जम्मू-कश्मीर और लद्दाख. आर्टिकल 370 हटाए जाने के पहले से ही जम्मू-कश्मीर में 'लॉकडाउन' लगा दिया गया था. अब एक साल बाद राज्य में स्थिति कैसी है, क्या कुछ बदल गया है? इस पर क्विंट ने एक स्पेशल बातचीत रखी.
क्विंट की निष्ठा गौतम और वकाशा सचदेव ने लेखक और स्तंभकार रतन शारदा, जम्मू-कश्मीर की पूर्व वार्ताकार राधा कुमार, रिटायर्ड एयर वाइस मार्शल कपिल काक और सीपीएम के जम्मू-कश्मीर में नेता युसूफ तारिगामी से बातचीत की.
राधा कुमार ने कहा कि ये एक बहुत दुखद दिन है क्योंकि एक साल पहले देश के एक राज्य का विशेष दर्जा छीना गया और उसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया. कुमार ने कहा, "ऐसा सब तब किया गया था, जब छह हजार से ज्यादा लोग ऐहतियातन हिरासत में थे. विरोध की सभी आवाजों को पहले ही दबा दिया गया था. एक ऐसा फैसला लिया गया, जिसमें उन्हीं लोगों से सुझाव नहीं लिए गए जिन्हें ये सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला था. मुझे डर है कि जो जम्मू-कश्मीर में हुआ था, वैसे ही क्रूर कदम और राज्यों में भी उठाए जाएंगे."
पिछले साल आर्टिकल 370 हटाए जाने से पहले जम्मू-कश्मीर के लगभग सभी बड़े नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था. तीन पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) भी लगाया गया था. फारूक और उमर को अब हिरासत से छोड़ दिया गया है, लेकिन महबूबा मुफ्ती अभी भी हिरासत में हैं और उन पर PSA बढ़ा दिया गया है.
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