advertisement
1989 के एतिहासिक आम चुनाव - बोफोर्स और मंडल की ताकत से वीपी सिंह ने राजीव गांधी की कांग्रेस पार्टी का रथ 197 सीटों पर रोक दिया था. वीपी के जनता दल को मिली 143 सीट. यानी सरकार बनाने के लिए 272 सीट का जादुई आंकड़ा किसी के पास नहीं था.
85 सीट वाली बीजेपी वीपी सिंह के साथ सरकार में शामिल होने और अपने मंत्री बनवाने के मंसूबे पाल रही थी कि उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया. 33 सीट वाली सीपीएम के महासचिव हरकिशन सिंह सुरजीत ने ऐलान किया कि सरकार जनता दल की बनेगी, लेफ्ट पार्टियां और बीजेपी बाहर से समर्थन करें. और वैसा ही हुआ.
अपनी डफली- अपना राग की राजनीति के उस दौर में कॉमरेड सुरजीत वो फेविकोल थे, जो अलग-अलग दलों को एक साथ चिपकाने का माद्दा रखते थे.
यानी बिखरे हुए विपक्ष को जोड़ने के लिए एक बार फिर कॉमरेड सुरजीत जैसे नेता की जरूरत महसूस हो रही है. अगर मैं आपसे पूछूं कि आज की पॉलिटिक्स का हरकिशन सिंह सुरजीत कौन हो सकता है तो आपका जवाब क्या होगा? शरद यादव, लालू यादव, चंद्रबाबू नायडू, सोनिया गांधी या फिर शरद पवार?
पवार को आज की राजनीति का सबसे बड़ा पावर ब्रोकर कहा जाए तो अजीब नहीं होगा. उन्होंने 1999 में कांग्रेस का दामन छोड़कर अपनी नेशलिस्ट कांग्रेस पार्टी बनाई थी. लेकिन 2004 में बनी यूपीए सरकार में ना सिर्फ वो शामिल हुए बल्कि 10 साल तक अहम भूमिका में रहे.
अप्रैल 2017 में दिल्ली में लॉन्च हुई पवार की ऑटोबायोग्राफी के मौके की इन तस्वीरों को देखिए. मंच पर कांग्रेस, लेफ्ट, जेडीयू समेत कई पार्टियों के नेता मौजूद हैं. ये सबूत है इस बात का कि पवार की पैठ तमाम पार्टियों में है.
हाल ही में पवार विपक्षी नेताओं को दिए गए सोनिया गांधी के डिनर में पहुंचे, जबकि चर्चा उनके ना आने की थी. इसके बाद गैर-बीजेपी महागठबंधन की संभावनाएं तलाशते हुए उन्होंने राहुल गांधी से मुलाकात की. ये सियासी नजरिये से बेहद अहम मुलाकात रही.
शरद पवार महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे से भी संपर्क में हैं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी.
ये भी पढ़ें : शरद पवार ने कहा, ‘अब कांग्रेस के अच्छे दिन आने वाले हैं’
ऑटोबायोग्राफी, अपनी शर्तों पर, में वो लिखते हैं:
कौन जानता है कि कांग्रेस पार्टी को ये सलाह देने वाले शरद पवार खुद ही विपक्ष के उस संभावित गठबंधन के सूत्रधार बन जाएं.
वीडियो एडिटर - मोहम्मद इरशाद
कैमरा पर्सन - अभय शर्मा
ये भी पढ़ें : प्रधानमंत्री को इस तरह आरोप लगाते हुए शर्म आनी चाहिए: शरद पवार
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)