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क्रिएटिव प्रोड्यूसर: कुनाल मैहरा
अगर हर दिन, हर मिनट कोई आपका पीछा करे तो क्या होगा? कोई ऐसा शख्स, जो आपके बारे में सब कुछ जानता हो, आपकी मर्जी के खिलाफ, आपके द्वारा नकारे जाने के बावजूद कोई ऐसा शख्स, जो आपके हर सोशल मीडिया पोस्ट, स्टोरी, लाइक और ट्वीट पर नजर रखता हो.
कोई ऐसा शख्स, जिसकी पहुंच आपके दोस्तों, आपके परिवार तक है, आपकी मंजूरी के बिना.
खौफनाक है ना?
हजारों औरतें हमारे देश में हैं, जो इससे हर दिन गुजरती हैं.
लेकिन इससे भी ज्यादा डराने वाली बात ये है कि इस गुनाह को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाये जा रहे हैं. और ये कोई मामूली बात नहीं है. भारत में स्टॉकिंग के खिलाफ कानून बेअसर क्यों हैं?
आपको जानकर हैरानी होगी कि दिल्ली में 2012 गैंगरेप और मर्डर केस के बाद ही स्टॉकिंग एक "पनिशेबल ऑफेंस" यानी "दंडनीय अपराध" बना.
इसके तहत पहली बार गुनाह को अंजाम देने वाले अपराधियों को तीन साल तक की कैद का प्रावधान है. लेकिन इस कानून में एक खामी है. इस कानून के तहत स्टॉकिंग एक जमानती अपराध है. तो इसका मतलब क्या है?
तो इसका मतलब है कि अगर पुलिस आपको गंभीरता से ले और स्टॉकर को गिरफ्तार कर ले तब भी उन्हें बड़े आराम से जमानत मिल सकती है. बिना किसी शर्त या बिना किसी न्यायिक जांच के. जिसकी वजह से उन्हें पीड़ितों को फिर से धमकी देने के लिए आजाद छोड़ दिया जाता है.
और सर्वाइवर? उसे न केवल फिर से उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है बल्कि हत्या, रेप, यौन हमले, गंभीर चोट और एसिड अटैक का भी खतरा रहता है. ये देखते हुए कि 2018 तक करीब 87.9% मामलों में ट्रायल पूरा किया जाना है.
और क्या नतीजे हो सकते हैं. स्टॉकर को पुलिस सिर्फ एक वॉर्निंग देकर छोड़ देती है. और मामले को उतनी संजीदगी से नहीं देखती है, जितना करना चाहिए.
क्या हम इसे बदलने के लिए कुछ कर सकते हैं?
अपनी कहानी बताने के लिए स्टॉकिंग सर्वाइवर्स एक प्लेफॉर्म दिया है. क्विंट से जुड़कर शशि थरूर ने स्टॉकिंग को गैर जमानती अपराध बनाने के लिए मार्च 2018 में लोकसभा में प्राइवेट मेंबर्स बिल पेश किया.
2018 में दिल्ली में आम आदमी पार्टी को स्टॉकिंग को गैर-जमानती अपराध बनाने का प्रस्ताव पारित करवाने में क्विंट कामयाब रहा.
एक बार फिर हम आपकी बात सुन रहे हैं. स्टॉकिंग एक गंभीर अपराध है और इससे निपटने के लिए हमें कानून की खामियों से छुटकारा पाने की जरुरत है.
तो हमारा साथ दीजिए
अपनी राज्य सरकार को इस बात के लिए राजी करने के लिए कि वो इसे गैर-जमानती अपराध बनाने लिए संशोधन पारित करे.
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