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राजनीति में एक हफ्ते में काफी कुछ बदल सकता है. अगर इस पुरानी कहावत को मानें, तो पंद्रह दिन में तो दोगुने बदलाव हो सकते हैं. भारत में 15 मार्च को खत्म हुए पखवाड़े के दौरान हमने कुछ ऐसा ही होते देखा है. मैंने उस दिन लिखा था, ‘‘जनतांत्रिक राजनीति संख्या बल और बहुमत का खेल है. इसलिए यह नहीं भूलना चाहिए कि संख्या बल में थोड़े उलटफेर से सारा गणित उल्टा पड़ सकता है.’’
जरा कुछ आंकड़ों पर गौर करें:
आंकड़ों पर गौर कीजिए- बड़ा कौन है? 50 लाख या एक करोड़?
इन मतदाताओं के लिए “अच्छे दिन” का नारा एक ऐसा जुमला बन चुका है, जिसमें अब कोई जान नहीं है और न ही उस पर किसी को यकीन है. प्रधानमंत्री मोदी के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती वो नया जुमला खोजने की है, जो उनसे दूर छिटक रहे वोटरों का भरोसा फिर से जीत सके.
गौर कीजिएगा कि तब मैंने उन चुनाव क्षेत्रों में गोरखपुर का नाम तक नहीं लिया था, जहां जनता का फैसला 'कुछ भी' हो सकता था, क्योंकि तब वहां किसी ऐसे नतीजे के बारे में सोचना भी मूर्खतापूर्ण लगता था.
इसमें एक बात तो साफ उभर रही है. 2019 में एसपी+बीएसपी के साथ आने की संभावना बीजेपी को डराने वाली है.
प्रधानमंत्री मोदी को शब्दों के नए-नए शॉर्ट फॉर्म गढ़ने का बड़ा शौक है, जिसे देखकर मेरा मन ये अनुमान लगाने का हो रहा है कि 2019 में वो अपना नया चुनावी नारा किस तरह गढ़ सकते हैं. शायद कुछ ऐसे :
ये पांच साल तो मैंने गुगली (GOOGLY) फेकी थी, अगले पांच साल मैं क्लीन बोल्ड (CLEAN-BOWLEDDD)कर दूंगा! और यहां उनके GOOGLY और CLEAN-BOWLEDDD का पूरा अर्थ कुछ इस तरह होगा :
GOOGLY: (G) गुनहगारी (O) अपोजिशन और (O) ओल्ड गार्ड को (L) लपेट लिया(Y)
(मोदी दावा करेंगे कि "मैंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान आपराधिक विपक्ष और थके हुए पुराने शासकों को नाकाम कर दिया है.")
CLEAN-BOWLEDDD: क्लीन न्यू इंडिया बिल्ट ऑन वर्ल्ड लीडरशिप एंड एनर्जेटिक डिजिटाइजेशन, डेमोक्रेसी एंड डेमोग्राफिक्स !
(मोदी आगे दावा करेंगे कि “आप प्रधानमंत्री के तौर पर मुझे दोबारा मौका दें, क्योंकि अब मैं एक स्वच्छ और नए भारत का निर्माण करूंगा, जो डिजिटाइजेशन, लोकतंत्र और युवा आबादी की तिहरी ताकत की बदौलत तेज रफ्तार से तरक्की करते हुए दुनिया की अगुवाई करेगा.”)
यूपी में एसपी+बीएसपी+कांग्रेस गठजोड़ और महाराष्ट्र में कांग्रेस+एनसीपी गठबंधन भी एक बल्लेबाज का शुरुआती फुटवर्क है. लेकिन विपक्षी बल्लेबाज अगर इतने पर रुक गए और हिचकिचाते हुए क्रीज पर ही खड़े रहे, तो उनका क्लीन बोल्ड होना तय है. उन्हें पूरी ताकत के साथ आगे बढ़कर न सिर्फ बॉल की स्पिन को नाकाम करना होगा, बल्कि पिच पर आकर गुगली को छक्के में तब्दील करने का हौसला दिखाना होगा.
ये होगा कैसे? उन्हें अपने-अपने ईगो यानी अहं को ताक पर रखना होगा और नामुमकिन को मुमकिन बनाने की कोशिश करनी होगी:
पश्चिम बंगाल में टीएमसी-कांग्रेस का गठजोड़ बनाकर कमान ममता बनर्जी को सौंपनी होगी. आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के टूटे धड़ों को जोड़कर जगन रेड्डी को उसका निर्विवाद नेता घोषित करना होगा. ये सुझाव अजीब लग सकता है, लेकिन असम में हिमंता बिस्व सरमा को राज्य की कमान सौंपने का वादा करके साथ लाने की कोशिश करनी होगी. और नीतीश कुमार को एक बार फिर आरजेडी + कांग्रेस से हाथ मिलाने के लिए क्यों नहीं मनाया जा सकता? अगर ऐसा हुआ तो क्या ये 2019 के राजनीतिक दंगल का सबसे असरदार और अंतिम दांव साबित नहीं होगा ?
क्या राजनीति असंभव को संभव बनाने की कला नहीं है ?
[क्विंट ने अपने कैफिटेरिया से प्लास्टिक प्लेट और चम्मच को पहले ही ‘गुडबाय’ कह दिया है. अपनी धरती की खातिर, 24 मार्च को ‘अर्थ आवर’ पर आप कौन-सा कदम उठाने जा रहे हैं? #GiveUp हैशटैग के साथ @TheQuint को टैग करते हुए अपनी बात हमें बताएं.]
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