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3 अक्टूबर से रूस के उलान उदे में शुरू हो रही वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में 6 बार की चैंपियन मैरी कॉम और अनुभवी बॉक्सर सरिता देवी भारतीय दल का नेतृत्व करेंगी. इन दोनों के अलावा 8 और भारतीय बॉक्सर की नजर चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल पर रहेगी. युवा ब्रिगेड का नेतृत्व 69 किलो में लवलिना और 57 किलो में नीरज करेंगी
मैरी कॉम मेडल की सबसे मजबूत दावेदार तो होंगी ही, भारत की सबसे बड़ी उम्मीद भी वही हैं. वहीं पूर्व वर्ल्ड चैंपियन सरित देवी भी अपने प्रदर्शन से आलोचकों का मुंह बंद कराना चाहेगी.
मैरी कॉम के बाद वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने वाली दूसरी भारतीय खिलाड़ी बनीं 37 साल की सरिता देवी ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में 1 गोल्ड और 2 ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं.
उन्होंने क्विंट से बात करते हुए कहा, “मैंने कभी भी ये नहीं सोचा था कि मैं वर्ल्ड चैंपियन बन गई या एशियाई गेम्स में जीती तो मैं बहुत बड़ी खिलाड़ी बन गई. आज भी मैं टाइम पर कैंप में आती हूं. कोच की बात मानती हूं. उनसे अच्छा व्यवहार करती हूं. पिछले 20 साल से मैं इंटरनेशनल खेल रही हूं. फिर भी कोच की सुनती हूं कि कहां क्या गलत करती हूं.”
सरिता बताती हैं कि उनके लिए 2019 वर्ल्ड चैंपियनशिप बहुत अहम है, क्योंकि वो अपने आलोचकों को जवाब देना चाहती हैं, जो उम्र के कारण उन पर सवाल उठाते हैं.
वहीं पहली बार वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लेने जा रही नीरज फोगाट पहले कुश्ती करती थे, लेकिन उन्होंने बताया कि उनकी दिलचस्पी बॉक्सिंग में थी इसलिए उन्होंने अपने करियर को एक दिशा देने का फैसला किया.
पछले 1 साल में नीरज का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है. नीरज ने बताया कि उन्हें अपना वजन कम करना पड़ा, तब जाकर वो प्रदर्शन कर पाई.
नीरज ने इंडिया ओपन और रूस के उमाखनोव मेमोरियर बॉक्सिंग टूर्नामेंट में गोल्ड जीत कर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा. नीरजा को पहले राउंड में बाई मिली है और वो अंतिम-32 राउंड में 5 अक्टूबर को रिंग में उतरेंगी.
वहीं असम की लवलीन 69 किलो वर्ग में भारत की उम्मीद हैं. पिछली बार वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज जीतने वाली लवलीना इस बार 69 किलो में उतर रही हैं. लवलीना को इस वर्ग में तीसरी सीड दी गई है और साथ ही शुरुआती राउंड में बाई भी मिली है. वो सीधे प्री क्वार्टर फाइनल में उतरेंगी.
उन्होंने आगे बताया कि टोक्यो 2020 तक का रास्ता उनके लिए आसान नहीं होगा. उसमेंऔर मेहनत की जरूरत होगी क्योंकि वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतना एक पड़ाव है. उसके बाद अगर वो गोल्ड या सिल्वर मेडल लाती हैं तब ही उनका रास्ता जापान के लिए खुल सकेगा.
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