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बाल मजदूर: पहले ही जिंदगी न थी आसान, लॉकडाउन ने बढ़ाई मुश्किल

बाल मजदूरी गैरकानूनी लेकिन अपने देश की ये है कड़वी सच्चाई  

मोहम्मद सरताज आलम
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World Child Labour Day 2020: बाल मजदूरी गैरकानूनी लेकिन अपने देश की ये है कड़वी सच्चाई  
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World Child Labour Day 2020: बाल मजदूरी गैरकानूनी लेकिन अपने देश की ये है कड़वी सच्चाई  
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान

देश में बाल मजदूरी है गैरकानूनी है लेकिन देश की ये कड़वी सच्चाई है कई बच्चों को सुबह से रात तक मजदूरी करनी पड़ती है ताकि किसी तरह वो अपना घर चला सकें. विश्व बाल मजदूरी निषेध दिवस यानी world day against child labor हर साल 12 जून को मनाया जाता है ताकि इस समस्या के प्रति दुनिया को जागरूक किया जा सके, लेकिन इस बार का जून खासकर भारत में बाल मजदूरों के लिए एक और मुसीबत लेकर आया है-लॉकडाउन.

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झारखंड के लातेहार में रहने वाला बच्चा सूरज बड़ाइक खुद मजदूरी करने को मजबूर हैं. सूरज ने क्विंट को बताया कि वो एक होटल में पिछले 1 साल से बर्तन धोने का काम और चाय बनाने का काम करता है. जिसके लिए उसे दिन का 200 रुपये मिलते थे.

लातेहार के ही रहने वाले छोटू प्रसाद ने बताया कि एक होटल में करीब 10 घंटे काम करता है. जिसमे वो दिन का 150 रुपये कमाता है.

महज 150 से 200 रुपये की दिहाड़ी में ऐसे कई बच्चों का बचपन बर्बाद हो रहा है. सूरज जो कमाता था वो अपने घर लाकर अपनी दादी को दे देता था जिससे उसके घर का राशन चलता है. सूरज की दादी जलसी बड़ाइक बताती हैं-

सूरज के पैसों से हम घर का राशन लाते हैं, उसी से घर चलता है, उसी से बीमारी, उसी से खेती के बीज वगैरह खरीदते हैं.

वहीं छोटू की मां मुन्नी देवी बताती हैं कि उनके पति की मृत्यु के बाद छोटू ही घर में कमा कर लाता है. छोटू को स्कूल भेजने के सवाल पर मुन्नी देवी बताती हैं कि उनकी घर की स्थिति काफी खराब थी इसलिए छोटू को काम करने जाना पड़ा और इसी वजह से वो छोटू को पढ़ा भी नहीं पाईं.

छोटू और सूरज के परिवार की मुसीबत तब और बढ़ गई जब कोरोना वायरस के चलते देशभर में लॉकडाउन लागू हो गया. लॉकडाउन में छोटू और सूरज दोनों घर पर हैं और अब काम पर नहीं जाते हैं. और इस तरह से घर चलना मुश्किल हो गया है.

सूरज की मां सितारा देवी बताती हैं कि ईट भट्टे में काम करने वाले उनके पति लॉकडाउन के चलते 4 महीने से घर नहीं आ पाए हैं और न ही पैसे भेज पाते हैं.

हमारे पास घर चलाने के भी पैसे नहीं है,, किसी से उधार लेकर ही काम चल रहा है. राशन कार्ड से थोड़ी मदद मिल जाती है. लेकिन परेशानी बढ़ती जा रही है. 
सितारा देवी, बाल मजदूर सूरज की मां

छोटू की मां मुन्नी देवी बताती हैं कि उनके पास न तो जमीन है और न ही खेती है. लॉकडाउन के चलते इनके घर में भी काफी परेशानी है. वो कहती हैं 'काम था तो पैसे थे अब काम बंद पड़ा है तो पैसे भी नहीं हैं, जैसे तैसे घर चल रहा है.

भारत में 14 से कम उम्र के बच्चों से काम कराना गैरकानूनी है. जनगणना 2011 के मुताबिक भारत में 1 करोड़ से ज्यादा बाल मजदूरी कर रहे हैं. लेकिन कई स्वयंसेवी संस्थाएं इस आंकड़े से काफी ज्यादा संख्या बताती हैं. दुनिया में हर दस में से एक बच्चा मजदूरी कर रहा है.

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Published: 11 Jun 2020,06:32 PM IST

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